गागरोन दुर्ग (झालावाड़)
गागरोन दुर्ग राजस्थान के झालवाड़ जिले में स्थित है।
उपनाम - गर्गराजपुर दुर्ग , डोडगढ़ दुर्ग , धूलरगढ़,
गागरोन दुर्ग मुकंदरा की पहाड़ी पर स्थित है यह सामेल नामक स्थान पर बना हुआ है।
गागरोन दुर्ग काली सिंध और आहू नदी के संगम पर स्थित है। इसलिए यह जल दुर्ग की श्रेणी में आता है यह राजस्थान का सर्वश्रेष्ठ जल दुर्ग है।
गागरोन में खींची राजवंश के संस्थापक देवनसिंह खींची ने इस दुर्ग का नाम गागरोन दुर्ग रखा।
मुगल बादशाह अकबर ने गागरोन दुर्ग को पृथ्वीराज राठौड़ को जागीर में दिया था। इसी दुर्ग में पृथ्वीराज राठौड़ ने वेली कृष्ण रुक्मणि री ख्यात लिखी थी।
इस दुर्ग के भीतर मीठे शाह की दरगाह (संत हम्मीदुद्दीन की दरगाह) बनी हुई है जिसका निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने करवाया था।
यहां पर स्थित बुलंद दरवाजा भी बहुत प्रसिद्ध है।
गागरोन दुर्ग में दो साके हुए थे।
प्रथम शाका - गागरोन दुर्ग में प्रथम शाका 1423 ई में यहां के शासक अचलदास खींची के समय हुआ था। उस समय मांडू के सुल्तान होशंगा शाह ने यहां आक्रमण किया था।
दूसरा शाका - गागरोन दुर्ग का दूसरा शाका 1444 ई में यहां के शासक पाल्हन्सी के समय जब मांडू के सुल्तान महमूद खिलजी ने यहां आक्रमण किया था।
दुर्ग के अंदर अचलदस खींची का महल बना हुआ है, इसी दुर्ग में संत पीपा जी की छतरी स्थित है।
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