राजस्थान में प्रमुख झीलें
राजस्थान में मुख्यत दो प्रकार की झीलें पाई जाती है।
1. खारे पानी की झीलें
2. मीठे पानी की झीलें
राजस्थान में खारे पानी की झीलें
राजस्थान में प्राकृतिक रूप से जो झीलें स्थित है वो खारे पानी की है। राजस्थान में खारे पानी की झीलें केशिकत्व प्रक्रिया के कारण है। दूसरा प्रमुख कारण नदियों द्वारा लाई गई लवणता की मात्रा भी है।
सांभर झील (जयपुर)
सांभर झील जयपुर, नागौर ओर अजमेर जिले की सीमा पर स्थित है। इसका अक्षांशीय विस्तार 27* - 29* N ओर 74*- 75* E है।
यह राजस्थान की खारे पानी की सबसे बड़ी झील है।
यहां पर नमक केंद्र सरकार के उपक्रम हिंदुस्थान साल्ट लिमिटेड की सहायक कंपनी सांभर साल्ट लिमिटेड तैयार करती है।
झील में राजस्थान के कुल नमक का 8.7 % उत्पादन होता है
सांभर झील में स्पाई रुला नामक शैवाल पाया जाता है।जिसमे प्रोटीन की मात्रा सर्वाधिक होती है।
यहां पर रामसर साइट पर्यटन स्थल बनाया गया है।
दादू दयाल ने अपना प्रथम उपदेश सांभर झील के किनारे दिए
सांभर झील तल समुद्र तल से नीचा है।
इसमें मुख्य मेंथा, रूपनगढ़ नदी आकर मिलती हु।
इस झील के किनारे शाकंभरी माता का मंदिर बना हुआ है।
डीडवाना झील (डीडवाना)
डीडवाना झील नागौर के डीडवाना जिले में स्थित है। इस झील में सोडियम सल्फेट का उत्पादन होता है जो रंगाई छपाई में काम आता है। इस नमक का खाने में उपयोग नही होता है।
इस झील के पास में ही राज्य सरकार द्वारा " राजस्थान स्टेट केमिकल वर्क्स " की दो इकाइयां स्थित है ।
यहां पर नमक बनाने का कार्य निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है जिन्हे देवल कहा जाता है।
पंचभदरा झील (बाड़मेर)
पंचभदरा झील बाड़मेर जिले के बालोतरा में स्थित है। इस झील में सोडियम क्लोराइड की मात्रा 98% है। इस झील में खारवेल जाति के लोग मोरड़ी नामक झाड़ी से नमक के स्फेटिक बनाते है।
राजस्थान में मीठे पानी की झीलें
राजस्थान में प्राचीन काल से ही बहुत सारी मीठे पानी की झीलें स्थित है, राजस्थान में स्थित मीठे पानी की झीलें ज्यादातर कृत्रिम है। इन्हे किसी राजा या भामाशाह ने इनका निर्माण करवाया था।
जयसमंद झील ( ढेबर झील ) उदयपुर
जयसमंद झील उदयपुर जिले में स्थित मीठे पानी की झील है। इसका उपनाम ढेबर झील है।
स्थापना - जयसमंद झील की निर्माण महाराणा जयसिंह ने 1687-91 में गोमती नदी के पानी को रोक कर करवाया।
जयसमंद झील राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम मीठे पानी की झील है।
इस झील पर 7 टापू स्थित है इसमें सबसे बड़ा टापू बाबा का भाखड़ा ओर छोटा प्यारी कहलाता है। इन टापू पर भील और मीणा जनजाति निवास करती है। बाबा का भाखड़ा टापू पर Island resort Hotel स्थित है।
इस झील से श्यामपुरा और भाट खेड़ा दो नहरे निकली गई है।
इस झील के किनारे जयसिंह ने नर्मदेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है।
जयसमंद झील को जलचरों की बस्ती कहा जाता है।
राजसमन्द झील ( राजसमंद )
राजसमंद झील राजसमंद जिले में स्थित है यह एकमात्र झील है जिसके ऊपर जिले का नाम रखा गया।
राजसमंद झील का निर्माण 1662-1676 ई में महाराणा राजसिंह ने गोमती नदी के पानी को रोक कर बनाया।
राजसमंद झील के उतरी भाग में नौ चौकी पाल स्थित है इस पाल पर 25 विशाल शिलालेख स्थित है। जिसे राजसिंह प्रशस्ति कहते है। इन शिलालेख पर मेवाड़ का इतिहास संस्कृत भाषा में अंकित है। इस प्रशस्ति के निर्माता रणछोड़ दास तैलंग है।
राजसिंह प्रशस्ति विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति है।
पिछोला झील ( उदयपुर )
पिछोला झील का निर्माण 14 वी शताब्दी में राणा लाखा काल में छीतरमल बंजारेे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया था।
पिछोला झील के किनारे सिटी पैलेस स्थित है, सीटी पैलेस उदयपुर के महाराणों का महल है। इस झील में दो टापू जगमंदिर ओर जगनिवास स्थित है। जगमंदिर का निर्माण महाराजा करण सिंह ने 1620 में कराया तथा जगतसिंह प्रथम ने 1651 में इसको पूर्ण करवाया।
जब शाहजहां ओर औरंगजेब का युद्ध हुआ तब शाहजहा ने जगनिवास में शरण ली थी।
इस झील के किनारे पर रूठी रानी का महल स्थित है।
झील के किनारे पर चामुंडा माता का मंदिर है जहां पर देवी के पद चिन्हों की पूजा होती है।
झील के किनारे पर बागोर की हवेली स्थित है इसमें विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी स्थित है। इस हवेली का निर्माण मेवाड़ के प्रधानमंत्री अमरचंद ने करवाया।
पिछोला झील के किनारे नटनी का चबूतरा स्थित है।
इस झील में गिरने वाली मुख्य नदियां सीसारमा व बुझड़ा है।
फतेहसागर झील (उदयपुर)
फतेहसागर झील का निर्माण महाराणा जयसिंह ने 1687 में कराया था इसका पुनउद्धार महाराणा फतेह सिंह ने 1888 में कराया था।
फतेह सागर में एक नहर के द्वारा पिछोला झील से पानी आता है।
इस झील पर डयूक ऑफ कनोट द्वारा बनाया कनोट बांध स्थित है।
इस झील के मध्य में नेहरू गार्डन स्थित है और इस गार्डन में सौर वैधशाला स्थित है।
फतेहसागर झील के पास में ही मोतीनगरी पहाड़ी स्थित है जिस पर महाराणा प्रताप का स्मारक स्थित है।
इस झील पर फतेहसागर बांध स्थित है।
पुष्कर झील (अजमेर)
पुष्कर झील की स्थापना ज्वालामुखी से हुई है । यह एक अर्द
चंद्राकर झील है। पुष्कर झील पर कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला कार्तिक शुक्ला एकादशी तक चलता है।
पुष्कर झील के पास विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर स्थित है जिसका निर्माण गोकुलचंद पारीक ने करवाया था। इसके पास ही माता सावित्री मंदिर है।
झील के पास ही रंगनाथ जी का मंदिर है।
इस झील के किनारों पर 52 घाट स्थित है जिसमे गौ घाट, महादेव घाट, चार घाट, इंद्र घाट, राम घाट प्रमुख है।
गौ घाट पर 1705 ई में गुरु गोविंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया था।
1911 ई में मैडम मेरी के आगमन पर महिला घाट का निर्माण करवाया गया था।
वर्तमान में महिला घाट को महात्मा गांधी घाट का नाम दिया गया है क्योंकि महात्मा गांधी की अस्थियां यही पर विसर्जित की गई थी।
पुष्कर झील के पास ही बूढ़ा पुष्कर स्थित है।
1997 ई में पुष्कर झील को साफ ओर गहरा करने के लिए पुष्कर गैप परियोजना चलाई गई।
सिलीसेढ़ झील (अलवर)
सिलीसेढ़ झील का निर्माण महाराजा विनय सिंह ने करवाया। इस झील के किनारे पर लेक पैलेस होटल स्थित है। जो RDTC के सरंक्षण में है।
इस झील को राजस्थान का नंदन कानन कहते है।
यही पर राजस्थान का दूसरा टाइगर प्रोजेक्ट स्थित है।
आनासागर झील (अजमेर)
आनासागर झील का निर्माण अर्नोराज 1137 ई में चंद्रा नदी के पानी को रोककर करवाया था।
आनासागर झील के पास में दौलत बाग का निर्माण जहांगीर ने करवाया जो आजकल सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है।
आनासागर झील के पास ही बारह दरिया का निर्माण शाहजहा ने करवाया था।
दोलतबाग बाग के पास में चश्मा ए नूर नामक एक झरना स्थित है। इस झील के पास में लूणी नदी उदगम स्थल है।
इसके पास में ही फॉयसागर झील स्थित है इस झील का निर्माण ब्रिटिश इंजीनियर फॉय ने करवाया था। इस झील का निर्माण 1891-92 में अकाल राहत कार्य के दौरान बांडी नदी का पानी रोककर किया गया
बालसमंद झील (जोधपुर)
इस झील का निर्माण 1159 में बालकराय परिहार ने मंडोर स्थान पर किया।
जोधपुर के शासक महाराजा सूरसिंह ने इस झील के मध्य एक आठ खंभों महल का निर्माण करवाया था
सूरसिंह ने इस झील के ऊपरी किनारे पर एक बारहदरी का निर्माण करवाया और झील के दक्षिण में एक महल का निर्माण करवाया जिसे जनाना बाग के नाम से जाना जाता है।
मोती झील ( भरतपुर )
इस झील का निर्माण सूरजमल जाट द्वारा रुआरेल नदी के जल को रोक कर करवाया।
यह झील भरतपुर की जीवनरेखा मानी जाती है।
मोती झील में नील हरित शैवाल पाए जाते है।
गेबसागर झील (डूंगरपुर)
गेबसगर झील का निर्माण महारावल गोपीनाथ के द्वारा करवाया था।
इस झील को एडवर्ड सागर बांध के उपनाम से भी जानी जाती है।
इस झील के किनारे पर काली बाई का स्मारक तथा बादल महल स्थित है।
कायलाना झील (जोधपुर)
कायलाना झील तीन और से पहाड़ियों से घिरी हुई एक कृत्रिम झील है।
इस झील का आधुनिकरण 1872 में सर प्रतापसिंह ने करवाया।
कायलाना झील के किनारे पर भारत का प्रथम मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी स्थित है।
इस झील में जल की व्यवस्था इंदिरा गांधी लिफ्ट नहर द्वारा की जाती है।
यह जोधपुर जिले की सबसे बड़ी झील है।
गजनेर झील ( बीकानेर )
गजनेर झील को गंगा सरोवर झील के नाम से भी जाना जाता है।
इस झील का निर्माण 1920 में महाराजा गंगासिंह ने करवाया।
नक्की झील ( सिरोही )
राजस्थान में सिरोही जिले में माउंट आबू पर नक्की झील स्थित है। यह राजस्थान की सबसे ऊंची तथा गहरी झील है।
इस झील का निर्माण ज्वालामुखी से हुआ है। यह एक कृत्रिम झील है। मान्यताओं के अनुसार इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से किया था इसलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा।
इस झील पर एक पत्थर की मेंढक जेसी आकृति बनी हुई है जिसे टॉड रॉक कहते है, एक चट्टान घूंघट निकाले हुए औरत के समान है उसे नन रॉक कहते है।
एक आकृति लडका लडकी की है जिसे कपल रॉक कहते है।
इसके अलावा यहां पर हाथी गुफा, चंपा गुफा, रामझरोखा, पैरेट रॉक देखने स्थल है।
अन्य मीठे पानी की झीलें
बुड्ढा जोहड़ - श्री गंगानगर
अमरसागर - जैसलमेर
उदयसागर झील - उदयपुर।
तालाब शाही झील - धौलपुर
रामसागर झील - धौलपुर
चोपड़ा झील - पाली
नंदसमंद झील - राजसमंद
बुझ झील - जैसलमेर
Superb...
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