सामान्यत जिन्हे कोई एक व्यक्ति नहीं पूरा समाज अपनाता है, लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित, लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोक गीत कहा जाता है।
भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् है जिसके रचनाकार बंकिमचंद्र चटर्जी है, इस गीत को गाने में एक मिनट 5 सेकंड का समय लगता है। यह गीत आनंद मठ उपन्यास से लिया गया है।
भारत का राष्ट्रीय गान जन मन गन है, जिसके रचनाकार रवीन्द्रनाथ टैगोर है इसे गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है, यह गीतांजलि उपन्यास से लिया गया है।
राजस्थान का राज्य गीत केसरिया बालम पधारो नी म्हारे देश है। जिसे सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई ने गाया था। इस गीत को सर्वाधिक अल्हा जिला बाई ने गाया था, यह एक विरह गीत है।
राजस्थान की कोकिला गवरी देवी (पाली) को कहा जाता है।
भारत की कोकिला सरोजनी नायडू को कहा जाता है।
राजस्थान के प्रमुख लोक गीत
गोरबंद
यह गीत ऊंट के गले का श्रृंगार करते समय गया जाता है, यह शेखावाटी व मरुस्थलीय क्षेत्र का प्रसिद्ध लोक गीत है।
" गाया चरवाती गोरबंद गुंथिया
भेस्या चरवाती पोयो म्हारो राज
म्हारो गोरबंद नखरालो "
कुरजा
यह एक विरह गीत है, यह गीत मारवाड़ की विरहनियों द्वारा कूरजा पक्षी को आधार मानकर संदेशवाहक के रूप में गाती है। कूरजा गीत वर्षा ऋतु में गाया जाता है।
नोट :- खिंचन गांव फलोदी जोधपुर व तालछापर चूरू कूरजा पक्षी के लिए प्रसिद्ध है।
पीपली
यह गीत वर्षा ऋतु में विहरनी द्वारा गाया जाता है, यह शेखावाटी व बीकानेर का प्रसिद्ध लोक गीत है।
लावणी
यह गीत नायक द्वारा नायिका को उपवन में बुलाने के लिए गाया जाता है।
मूमल
यह गीत जैसलमेर की राजकुमारी मूमल के श्रृंगार का वर्णन करता है। मूमल लोद्रवा की राजकुमारी थी जिसका अमरकोट के राजकुमार महेंद्र के साथ प्रेम था, महेंद्र के पास चीतल ऊंट था , यह कथा मीनाक्षी स्वामी ने लिखी थी।
जीरा
इसमें पत्नी अपने पति की जीरा नहीं बोने की विनती करती है क्यूंकि जीरा फसल में काम ज्यादा होता है जिस कारण नायक - नायिका समय नहीं से पाते है जिससे परेशान होकर नायिका यह गीत गाती है।
कौआ गीत
ये वीरह गीत है इस गीत में नायिका कोवे को आधार मानकर गीत गाती है , क्यूंकि कौआ बोलना राजस्थान में शुभ माना जाता है तथा मेहमान आने का प्रतीक हैं।
कांगासियो गीत
इस गीत में नायिका श्रृंगार करते समय अपने पति की याद करते हुए यह गीत गाती है :-
म्हारा छैल भंवर रो कांगसियो , पनिहराया ले गई।
हिचकी गीत
यह मेवात का प्रसिद्ध गीत है, यह विरह गीत है, हिचकी गीत याद से सम्बन्धित है। माना जाता है कि अगर कोई याद करता है तब हिचकी आती है:-
म्हारा पियाजी बुलाई म्हने आई हिचकी
नोट :- हिचकी माता का मंदिर सनवाड़ा भीलवाड़ा में है।
बधावा
यह शुभ कार्यों में गाया जाता है इस गीत में पूर्वजों को याद कर कार्य सिद्ध की कामना की जाती है, बधावा गीत मंगल गीत है।
काजलियो
यह गीत विवाह में निकासी के समय दूल्हे की भाभी काजल लगाते समय गाती है यह श्रृंगार गीत है :-
काजल भरियो कुंप लो कोई
धरयो पलंग अध बीच कोरी काजलियो।
बन्ना - बन्नी
यह गीत शादी के समय दूल्हा - दुल्हन के लिए गाया जाता है, जिसमे दूल्हा - दुल्हन के प्यार भरे झगड़ों की चर्चा होती है।
घोड़ी
यह निकासी के समय गाया जाता है।
कामण गीत
यह गीत बारात आगमन पर वधू पक्ष की महिलाओ द्वारा दूल्हे को जादू टोने से बचाने हेतु गाया जाता है :-
पपेया गीत
पपेया गीत एक पक्षी है, पपेया गीत में एक लड़की किसी विवाहित पुरुष को अपने प्रेम जाल में फसाने के लिए जंगल में बुलाती है, लेकिन लड़का अपनी पत्नी के साथ धोखा नहीं करता है।
सिठने
यह गाली गीत है, शादी में वधू पक्ष द्वारा वर पक्ष को सुनाया जाता है।
ओल्यू गीत
यह लड़की की विदाई पर गाया जाता है।
पटेल्या
यह गीत आदिवासियों द्वारा गाया जाता है।हिडल्यो/ हिडोगीत
यह गीत झूला झूलते समय गया जाता है। यह गीत श्रावण मास में गाया जाता है।परनेत
यह गीत शादी के फेरों में गाया जाता है।बिछिया
यह गीत पर्वतीय क्षेत्र में गाया जाता है।हरणी गीत
इस लोवडी गीत भी कहते है। इस गीत में दीपावली के समय बच्चे टोलियां बनाकर घरों से पैसे इकट्ठे करते है।
काछवा गीत
यह पश्चिमी राजस्थान में गाया जाने वाला प्रेम गीत है।
पीला
यह गीत जलवा के समय गाया जाता है।
फलसड़ा
यह गीत विवाह पर मेहमान के आगमन पर गाया जाता है।
विनायक गीत
यह गीत मांगलिक अवसर पर गाया जाता है
चाक गीत
यह गीत शादी में कुम्हार के घर चाक पूजते समय गाया जाता है।
बादली गीत
यह गीत वर्षा ऋतु में मेवाड़ ओर हाड़ौती क्षेत्र में गाया जाता है।
हिड़ गीत
यह गीत दीपावली पर पुरुषों द्वारा समूह बनाकर गाया जाता है। यह मेवाड़ का प्रसिद्ध गीत है। हिड़ गीत में हिड दीपक का प्रतीक होता है।
घुघरी गीत
यह गीत शादी में बान के समय गाया जाता है।
हालरियो
यह गीत बच्चों को झूला देते समय गाया जाता है।
कुकड़लू गीत
यह गीत तोरण मारते समय वधू पक्ष की महिलाओ द्वारा गया जाता है इसे झिलमिल भी कहा जाता है।
कुकड़ी गीत
यह रात्रि जागरण का अंतिम गीत है, सांसी जनजाति में कूकड़ी रस्म होती है।
वीरा गीत
भात के समय यह गीत गाया जाता है। इस भात या मायरा गीत भी कहते है।
कलाली गीत
यह सवाल जवाब गीत है।
यह गीत शराब बेचने व निकालने वाले के मध्य गाया जाता है। यह गीत कलाल जाती की महिलाओ द्वारा मंद लय में गाया जाता है।
हरजस गीत
यह राम कृष्ण की भक्ति के गीत वृद्ध व्यक्ति की मृत्यु पर गाया जाता है।
मरसिए गीत
यह मारवाड़ का प्रसिद्ध गीत है , किसी प्रभावशाली व्यक्ति की मृत्यु होने पर गाया जाता है।
रतन राणा
यह एक मार्मिक गीत है।
सिठने गीत
यह एक गाली गीत है, यह गीत वधू पक्ष द्वारा वर पक्ष वालों को सुनाया जाता है।
ओल्यू गीत
यह गीत लड़की की विदाई पर गाया जाता है
जच्चा गीत
यह गीत पुत्र जन्म पर गाए जाते है इसमें पुत्र जन्म की खुशी और गर्भ पीड़ा का चित्रण किया जाता है।
बिछुड़ा गीत
यह हाड़ौती व मेवाड़ का प्रसिद्ध गीत है। इसमें एक महिला की बिच्छू खा जाता है वो अपने पति को दूसरी शादी करने के लिए कह रही है।
ओरावा
यह जैसलमेर का प्रसिद्ध गीत है। यह प्रदेश गए पति को संदेश पहुंचाने के लिए किया जाता है।
मोरिया
यह विरह गीत है। यह गीत सगाई हो चुकी लड़की द्वारा गाया जाता है , जिसकी में देरी है ओर वह लड़की अपने पति से मिलने के लिए तड़पती है।
हम सिडो
यह भीलों का युगल गीत है
सुवटयों
यह भील स्त्री विदेश गए पति हेतु गाती है, इसमें विरहनी द्वारा तोते को आधार मानकर गाया जाता है।
दुपट्टा
यह दूल्हे की सालियों द्वारा गाया जाता है
चिरमी
वधू द्वारा अपने भाई व पिता की ससुराल में प्रतीक्षा करते हुए चिरमी पोधे को आधार मानकर गाया जाता है।
लांगुरिया गीत
यह करोली में केलादेवी के मंदिर में गाया जाता है
ढोला मारू
यह ढोला मारू की प्रेम कहानी पर आधारित है। ढोला नरवर का राजा था तथा पुंगल बीकानेर की राजकुमारी थी।
जलो ओर जलाल
यह गीत महिलाएं बारात का डेरा देखने जाते समय गाती है।
फाग
यह गीत होली के अवसर पर गाए जाते है।
धमाल
यह होली पर गाए जाते है।
लालर गीत
यह गीत आदिवासियों द्वारा गाया जाता है।
हिडल्यो/ हिडों गीत
यह गीत झूला झूलते समय गाया जाता है। यह गीत श्रावण मास में गाया जाता है।
परनेत
यह गीत शादी के फेरों में गाया जाता है।
बिछियां गीत
इसे लोवड़ी गीत भी कहते है। इस गीत में दीपावली के समय बच्चे टोलिया बनाकर घरों से पैसे इकट्ठे करते है।
काछवा गीत
यह पश्चिमी राजस्थान में गाया जाने वाला प्रेम गीत है।
हंस गीत
यह गीत गर्भवती महिला अपनी सास से भिन्न खाने की मांग करती है, लेकिन उसकी सास उसे पूरा नहीं करती है लेकिन उसका पति उसे पूरा करता है।
बैमाता गीत
यह गीत बच्चा जन्म होने के बाद गाया जाता है, जिसमे महिलाए बेमाता से बच्चे का अच्छा भाग्य लिखने को कहती है।
घुड़ला गीत
यह गीत मारवाड़ क्षेत्र में होली के बाद घुडला नृत्य के समय गाया जाता है।
पनिहारी गीत
यह गीत ग्रामीण क्षेत्र में महिलाए पानी लाने जाते समय गाती है।
0 comments:
Post a Comment
thanks