राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं : Ancient Civilizations of Rajasthan
कालीबंगा की सभ्यता : Kalibanga civilization
कालीबंगा सभ्यता के बारे में सर्वप्रथम जानकारी भाषाशास्त्री लुईस पी टेसी टोरी ने दी थी।
कालीबंगा सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी थी।
यह सभ्यता राजस्थान में हनुमानगढ़ में घग्घर नदी के किनारे पाई गई। स्वतंत्रता के बाद प्रथम पुरातात्विक स्थल जिसका उत्खनन किया गया है।
▪️ खोजकर्ता - कालीबंगा सभ्यता की खोज डॉ अमलानंद घोष ने 1952 में की थी। इसी सभ्यता का उत्खनन 1961 में बी. पी. लाल ओर बी. के. थापर ने किया।
▪️ कार्बन C-14 पद्धति के अनुसार इस सभ्यता का काल 2350 से 1750 ईसा पूर्व का माना जाता है।
▪️ शाब्दिक अर्थ - कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ - काले रंग की चूड़ियां
▪️ कालीबंगा सभ्यता कांस्य युगीन सभ्यता कहलाती है। यहां के परिवार मातृसतात्मक थे।
▪️ कालीबंगा सभ्यता में नगरीय सभ्यता के प्रमाण मिले हैं भवन कच्ची - पक्की इंटो से बने मिले है। भवन की खिड़किया सड़क पर नहीं खुलकर भवन की पीछे के भाग में खुलती थी।
▪️ सड़के समकोन पर काटती है।
▪️ घरों के बाहर गंदे पानी के निकासी के लिए नालियां का काष्ठ या पक्की नालिया मिली है।
▪️ विश्व के प्रथम जूते हुए खेतों के प्रमाण मिले हैं।
▪️ इस सभ्यता में भूकम्प के साक्ष्य मिले है घरों की दीवारो में दरारें मिली है।
▪️ यहां पर एक साथ दो फसलें बोने के प्रमाण मिले हैं।
▪️ कुत्ता यहां का प्रिय जानवर था। यहां के निवासी ऊंट से परिचित थे।
▪️ इस सभ्यता में स्वास्तिक चिन्ह के प्रमाण मिले हैं लेकिन मूर्ति पूजन का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
▪️ यहां पर बर्तन बेलनाकार आकार में मिले है।
▪️ इस सभ्यता में शल्य चिकित्सा के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं।
▪️ यज्ञ ओर अग्नि वेदिकाएं प्राप्त हुई है।
आहड़ सभ्यता : aahad civilization
आहड़ सभ्यता उदयपुर में आयड़ नदी के किनारे स्थित है। आहड़ सभ्यता को आहड़नगरी, ताम्रवती नगरी, आघाट दुर्ग भी कहते है।
▪️ उपनाम - मृतकों के टीलों की सभ्यता
बनास संस्कृति
▪️ आहड़ सभ्यता को ताम्रकालीन सभ्यता कहते है। यहां पर ताम्र कालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। इसे लौह युगीन सभ्यता भी कहते है।
▪️ आहड़ सभ्यता में ग्रामीण परिवेश के प्रमाण मिले हैं।
▪️ उत्खनन कर्ता - आहड़ सभ्यता के उत्खनन कर्ता पंडित कीर्ति व्यास ने 1959 में की थी।
1956 में आर सी अग्रवाल ने यहां उत्खनन किया है। 1961-62 में भारत सरकार की तरफ से वी एन मिश्रा ओर धीरज संखलिया ने उत्खनन किया ओर राजस्थान सरकार की ओर से विजय कुमार ओर डॉ पी सी चक्रवती ने भाग लिया था।
▪️ आहड़ सभ्यता में स्फटिक पत्थरों की अधिकता मिली है यह पत्थर उपकरण ओर ओजार बनाने में काम में आते है।
▪️ यहां पर लौह, कांस्य, ओर तांबे के उपकरण मिले है।
▪️ आहड़ सभ्यता में मिट्टी के मृदभांड मिलने के प्रमाण मिले हैं।
▪️ यह पर मक्कान कच्ची इंटो से निर्मित ओर आयताकार रूप में मिले है।
▪️ आहड़ सभ्यता में सामूहिक भोजन की व्यवस्था मिली है, एक मकान में एक से अधिक चूल्हे मिले है, एक चूल्हे पर मानव के हाथ की हथेली के निशान मिले है।
▪️ यहां पर बिना हत्थे के जलपात्र मिले है।
▪️ अनाज को सुरक्षित रखने के लिए मृदभांड मिले है जिसे गोरे या कोठे कहते है।
▪️ आहड़ सभ्यता में तांबे से निर्मित 6 यूनानी मुद्राएं ओर 3 मोहरे मिली है।
▪️ आहड़ सभ्यता में तांबा उद्योग के प्रमाण मिले हैं, यहां पर तांबा गलाने की भट्टी मिली है, तांबे के विभिन्न प्रकार के उपकरण, अस्त्र - शस्त्र, तांबे की कुल्हाड़ी मिले है।
▪️ आहड़ सभ्यता में बैल की आकृति मिली है जो टेरी कोटा पद्धति से निर्मित है।
▪️ यहां के लोग शव को कपड़ों ओर आभूषण सहित गाड़ते थे।
▪️ यहां के लोग कृषि से परिचित थे। अन्न को पकाकर खाते थे। यहां पर चावल ओर ज्वार के प्रमाण मिले हैं।
▪️ इस सभ्यता के लोग रंगाई छपाई व्यवसाय से परिचित थे। खुदाई में रंगाई छपाई करने के ठपे मिले है।
▪️ यह पर बाट ओर माप मिले है जिससे यहां पर वाणिज्य या व्यापार के प्रमाण मिले हैं।
बालाथल सभ्यता : Balathal Civilization
बालाथल सभ्यता वल्लभनगर उदयपुर में स्थित है। यहां पर उत्तर ताम्र कालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं।
▪️ उत्खनन - बालाथल सभ्यता का उत्खनन 1993 में प्रो. वी एन मिश्रा के नेतृत्व में हुआ था।
▪️ इस सभ्यता का काल 2350 ईसा पूर्व का है।
▪️ यहां पर कंकाल मिला है जो भारत में कुष्ठ रोग का सबसे पुराना प्रमाण है।
▪️ यहां पर सांड की आकृति मिली है।
▪️ बालाथल सभ्यता में बुना हुआ वस्त्र के प्रमाण मिले हैं।
गणेश्वर सभ्यता : Ganeshwar civilization
गणेश्वर सभ्यता सीकर जिले में कांतली नदी के किनारे स्थित है।
इसके काल 2800 ईसा पूर्व का है।
▪️ गणेश्वर सभ्यता ताम्रयुगीन सभ्यता है ओर भारत की सबसे पुरानी सभ्यता है इसलिए इसे ताम्रयुगीन सभ्यता की जननी कहा जाता है।
▪️ यहां पर मछली पकड़ने का कांटा मिला है तथा जीव जंतुओं के शिकार के प्रमुख प्रमाण मिले है।
▪️ इस सभ्यता में मकान पत्थर के बनाए जाते थे।
नगरी सभ्यता : Nagri civilization
नगरी सभ्यता चितोडगड़ जिले में स्थित है यह बेड़च नदी के किनारे स्थित है। इसका प्राचीन नाम मध्यमिका मिलता है।
▪️ उत्खनन - नगरी सभ्यता का उत्खनन D R भंडारकर ने 1904 में किया था।
▪️ यहां प्राप्त सिक्को पर मझमिकाय शिविजनपदज्य लेख उत्कीर्ण है।
▪️ राजस्थान में वैष्णव संप्रदाय का प्राचीनतम मंदिर यही मिले थे। यहां पर द्वितीय ईसा पूर्व शताब्दी के शुंग कालीन मंदिर के प्रमाण मिले है।
▪️ उत्खनन - इस सभ्यता का उत्खनन 2000-01 में हुआ था।
▪️ यहां पर आहड़ सभ्यता से सम्बन्धित अवशेष मिले है।
▪️ यहां पर गाय ओर बेल की मूर्तियां मिली है। गाय ओर बेल के पैरो पर सफेद रंग की डिजाइन मिली है।
▪️ इस सभ्यता के स्थल बीजक की पहाड़ी है।
▪️ इस सभ्यता में मिट्टी की इंट का प्रयोग किया गया है।
▪️ यह पर खंडहरनुमा भवन के अवशेष मिले है।
▪️ एक भवन में 6-7 कमरे मिले है।
▪️ यहां पर 36 मुद्राएं मिली हैं।
▪️ यहां पर खुदाई में लौह के अयस्क से लौह बनाने की सबसे प्राचीनतम भट्टियां मिली है, लोहे से बने हुए कोटरे मिले है।
▪️ यहां पर मोर्य कालीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ यहां पर शुंग व कुषाण कालीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ यहां पर भी लौह बनाने की भट्टियां मिली हैं।
▪️ यहां पर काली पॉलिश युक्त मृदभांड मिले है।
▪️ कपिषवर्णी मृदपत्रों का 1 मीटर जमाव पाया गया ।
▪️ इसका उत्खनन दयाराम साहनी ओर केदारनाथ पूरी ने को थी
▪️ यहां पर पूर्व गुप्तकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ इस सभ्यता में लौह सामग्री के विशेष भण्डार मिले है।
▪️ मालव गणराज्य के सिक्के इस सभ्यता स्थल से मिले है।
▪️ यह एशिया में सिक्को का सबसे बड़ा भंडार यही से प्राप्त हुआ है।
▪️ इस सभ्यता स्थल को भारत का प्राचीन टाटा नगर कहते हैं।
▪️ उत्खनन - इसका उत्खनन 1967-69 में डॉ वी एन मिश्रा ओर डॉ एल एस लेशनी के नेतृत्व में किया गया।
▪️ यहां पर उत्तर पाषाण कालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
▪️ यहां पर महासतियो का टिला मिले है।
▪️ बागौर से कृषि व पशुपालन के सबसे प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं।
▪️ यह सभ्यता स्थल आहड़ सभ्यता से सम्बन्धित है। यहां से ताम्र युगीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ उत्खनन - इसका उत्खनन 1963-64 में आर सी अग्रवाल द्वारा किया गया ।
▪️ इस सभ्यता स्थल से पांच सांस्कृतिक युगों के अवशेष मिले है।
▪️ यहां पर पक्षी चित्रित ईंटे मिली है।
▪️ यहां से चित्रित स्लेटी रंग एवं गेरू रंग के पात्रों के अवशेष मिले है।
▪️ कुराडा को ओजारो की नगरी कहते है।
▪️ उत्खनन - इसका उत्खनन 1934 में हुआ था।
▪️ यहां से 103 ताम्र उपकरण प्राप्त हुए
▪️ यहां से लौहकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
▪️ यहां से प्रागैतिहासिक काल के साक्ष्य मिले है।
▪️ इस सभ्यता स्थल से ताम्र हारफुन ओर तलवारे मिली है, ताम्र हारफून बड़े जानवर का शिकार करने का ओजार है।
▪️ इसका उत्खनन स्वीडन के डॉ हन्नारिड के निर्देशन के में हुआ ।
▪️ यहां से कुषाण कालीन ओर पूर्व गुप्त कालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
▪️ यहां से मृण्मूर्तियों पर गांधार शैली की छाप और पंचमार्क के सिक्के मिले है।
▪️ रंगमहल से कनिष्क प्रथम ओर द्वितीय के काल के सिक्के मिले है।
▪️ यहां से सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ यहां से विशेष प्रकार का घड़ा मिला है।
▪️ यहां से बाबा रामदेव ओर पीपल के वृक्ष के प्रमाण मिले हैं।
ओझियाना सभ्यता : Ojhiyana civilization
▪️ ओझियाना सभ्यता भीलवाड़ा में स्थित है।▪️ उत्खनन - इस सभ्यता का उत्खनन 2000-01 में हुआ था।
▪️ यहां पर आहड़ सभ्यता से सम्बन्धित अवशेष मिले है।
▪️ यहां पर गाय ओर बेल की मूर्तियां मिली है। गाय ओर बेल के पैरो पर सफेद रंग की डिजाइन मिली है।
बेराठ सभ्यता : Berath Civilization
बेराठ जयपुर जिले में स्थित है। यह प्राचीन मत्स्य प्रदेश की राजधानी थी।▪️ इस सभ्यता के स्थल बीजक की पहाड़ी है।
▪️ इस सभ्यता में मिट्टी की इंट का प्रयोग किया गया है।
▪️ यह पर खंडहरनुमा भवन के अवशेष मिले है।
▪️ एक भवन में 6-7 कमरे मिले है।
▪️ यहां पर 36 मुद्राएं मिली हैं।
सुनारी सभ्यता - खेतड़ी झुंझुनूं
▪️ इसका उत्खनन 1980-81 में राजस्थान राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा किया गया ।▪️ यहां पर खुदाई में लौह के अयस्क से लौह बनाने की सबसे प्राचीनतम भट्टियां मिली है, लोहे से बने हुए कोटरे मिले है।
▪️ यहां पर मोर्य कालीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
जोधपूरा सभ्यता
▪️ जोधपूरा जयपुर में साबी नदी के किनारे स्थित है।▪️ यहां पर शुंग व कुषाण कालीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ यहां पर भी लौह बनाने की भट्टियां मिली हैं।
▪️ यहां पर काली पॉलिश युक्त मृदभांड मिले है।
▪️ कपिषवर्णी मृदपत्रों का 1 मीटर जमाव पाया गया ।
रेढ़ सभ्यता
सभ्यता स्थल टोंक में निवाई तहसील में स्थित है।▪️ इसका उत्खनन दयाराम साहनी ओर केदारनाथ पूरी ने को थी
▪️ यहां पर पूर्व गुप्तकालीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ इस सभ्यता में लौह सामग्री के विशेष भण्डार मिले है।
▪️ मालव गणराज्य के सिक्के इस सभ्यता स्थल से मिले है।
▪️ यह एशिया में सिक्को का सबसे बड़ा भंडार यही से प्राप्त हुआ है।
▪️ इस सभ्यता स्थल को भारत का प्राचीन टाटा नगर कहते हैं।
बागौर सभ्यता
बागौर सभ्यता स्थल भीलवाड़ा में कोठारी नदी के किनारे स्थित है।▪️ उत्खनन - इसका उत्खनन 1967-69 में डॉ वी एन मिश्रा ओर डॉ एल एस लेशनी के नेतृत्व में किया गया।
▪️ यहां पर उत्तर पाषाण कालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
▪️ यहां पर महासतियो का टिला मिले है।
▪️ बागौर से कृषि व पशुपालन के सबसे प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं।
गीलूंड सभ्यता स्थल
गीलूंड सभ्यता स्थल राजसमंद जिले में स्थित है।▪️ यह सभ्यता स्थल आहड़ सभ्यता से सम्बन्धित है। यहां से ताम्र युगीन सभ्यता के अवशेष मिले है।
नोह सभ्यता स्थल
यह सभ्यता स्थल भरतपुर जिले में घना पक्षी विहार के मध्य स्थित है।▪️ उत्खनन - इसका उत्खनन 1963-64 में आर सी अग्रवाल द्वारा किया गया ।
▪️ इस सभ्यता स्थल से पांच सांस्कृतिक युगों के अवशेष मिले है।
▪️ यहां पर पक्षी चित्रित ईंटे मिली है।
▪️ यहां से चित्रित स्लेटी रंग एवं गेरू रंग के पात्रों के अवशेष मिले है।
कुराडा सभ्यता स्थल
▪️ कुराडा सभ्यता स्थल नागौर जिले के परबतसर तहसील में स्थित है।▪️ कुराडा को ओजारो की नगरी कहते है।
▪️ उत्खनन - इसका उत्खनन 1934 में हुआ था।
▪️ यहां से 103 ताम्र उपकरण प्राप्त हुए
मलाह सभ्यता स्थल
मलाह सभ्यता स्थल भरतपुर जिले में स्थित है।▪️ यहां से लौहकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
▪️ यहां से प्रागैतिहासिक काल के साक्ष्य मिले है।
▪️ इस सभ्यता स्थल से ताम्र हारफुन ओर तलवारे मिली है, ताम्र हारफून बड़े जानवर का शिकार करने का ओजार है।
रंगमहल सभ्यता
रंगमहल सभ्यता स्थल हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। यह स्थल सरस्वती नदी के किनारे स्थित है।▪️ इसका उत्खनन स्वीडन के डॉ हन्नारिड के निर्देशन के में हुआ ।
▪️ यहां से कुषाण कालीन ओर पूर्व गुप्त कालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
▪️ यहां से मृण्मूर्तियों पर गांधार शैली की छाप और पंचमार्क के सिक्के मिले है।
▪️ रंगमहल से कनिष्क प्रथम ओर द्वितीय के काल के सिक्के मिले है।
पीलीबंगा सभ्यता
यह सभ्यता स्थल हनुमानगढ़ जिले में स्थित है।▪️ यहां से सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले है।
▪️ यहां से विशेष प्रकार का घड़ा मिला है।
▪️ यहां से बाबा रामदेव ओर पीपल के वृक्ष के प्रमाण मिले हैं।
Shandar
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