राजस्थान में पशु सम्पदा
राजस्थान में पशु धन
राजस्थान का भारत में पशु सम्पदा में दूसरा स्थान है।
राजस्थान में पशु गणना
राजस्थान में भारत के कुल पशु के 10.60% पशु पाए जाते है। राजस्थान में 20 वी पशुगणना 2019 में हुई थी। राजस्थान में प्रथम पशु गणना 1919-20 में हुई थी। पशु गणना प्रत्येक 5 साल में होती है।
पशु गणना राजस्थान का राजस्व मंडल अजमेर कराता है।
20 वी पशु गणना भारत की पहली डिजिटल पशु गणना है।
20वी पशु गणना में राजस्थान में कुल 5 करोड़ 68 लाख पशु धन है।
19 वी पशु गणना में राजस्थान 5 करोड़ 77 लाख पशुधन थे
19वी पशु गणना की तुलना में 20 वी पशु गणना में 1.66% पशुधन में कमी आयी है।
राजस्थान के वरुणा गांव की बकरिया प्रसिद्ध है।
राजस्थान में बकरी की निम्न किस्में पाई जाती है
शेखावाटी - चूरू, सीकर
लोही - श्री गंगानगर, हनुमानगढ़
परबतसरी - नागौर
अलवरी - इसे झखराना भी कहती है।
बरबरी - उदयपुर
सिरोही - सिरोही जिले
मारवाड़ी - जोधपुर , नागौर
गोवंश परिपालन केन्द्र व नस्ल सुधार के लिए फर्टिलाइजर सेंटर की स्थापना नोहर हनुमानगढ़ में की गई।
गाय की नस्ले
राठी - राठी गाय के बैल श्रेष्ठ होते है, इसे राजस्थान की कामधेनु कहते है, यह सर्वाधिक दूध देती है। राठी गाय गंगानगर, बीकानेर क्षेत्र में पाई जाती है।
थारपारकर - यह जैसलमेर में पाई जाती है, इसका मूल क्षेत्र मालानी क्षेत्र है।
कांकरेज - यह बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही जिले में पाई जाती है।
मालवी - इस गाय की नस्ल कोटा, बारां, चित्तौड़गढ़, बूंदी, झालावाड़, प्रतापगढ़ में पाई जाती है।
मेवाती - अलवर, भरतपुर, धौलपुर
हरियाणवी - चूरू, झुंझुनूं, सीकर
गिर/रेडा - अजमेर जिले पाई जाती है इसका मूल स्थान गुजरात है यह एक द्वी प्रयोजनिय नस्ल है यह नस्ल दूध ओर कृषि के लिए दोनों के लिए उपयोगी है।
गाय की विदेशी नस्ल
जर्सी - गाय की यह नस्ल मध्य पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है इसका मूल स्थान अमेरिका है। यह गाय कम उम्र में दूध देने लगती है। यह गाय दूध देने में अग्रणी है इसके दूध में वसा की मात्रा 4% होती है।
होलिस्टिन - यह गाय मध्य पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है। इसका मूल स्थान हॉलैंड व अमेरिका है। इसके शरीर पर काले चकते होते है।
रेड डेन - इसका मूल स्थान डेनमार्क है।
भैंस की नस्ल
मुर्राह नस्ल - राजस्थान में सर्वाधिक मुर्राह नस्ल की भैंस पाई जाती है। यह भेंस दूध उत्पादन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राजस्थान में यह नस्ल जयपुर, भरतपुर, अलवर, में पाई जाती है। इसका मूल स्थान मुल्तान पाकिस्तान है। भरतपुर के कुम्हेर में मुर्राह नस्ल की भैंस का प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया है। राजस्थान में भेंस अनुसंधान केंद्र व प्रजनन केंद्र वल्लभनगर टोंक में स्थित है।
भैंस की अन्य नस्लों में मुरादाबादी, जाफराबादी, भदावरी, नागपुरी
भदावरी नस्ल में सर्वाधिक वसा की मात्रा होती है।
राजस्थान में भेड़ों की नस्ल
नाली - गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूं व बीकानेर
मगरा - जैसलमेर, बीकानेरी, चूरू, नागौर
चौखला/शेखावाटी - इस भेड़ से अच्छी किस्म की ऊन प्राप्त होती है। इसे भारतीय मेरिनो कहते है। यह चूरू, झुंझुनूं, बीकानेर, नागौर में पाई जाती है।
मारवाड़ी - राजस्थान में सर्वाधिक भेड़े इसी नस्ल की पाई जाती है। यह जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, पाली,जयपुर, दौसा, अजमेर, राजसमन्द, सीकर में पाई जाती है।
मालपुरी - जयपुर दौसा टोंक
सोनाडी/चनोथर - इस नस्ल की भेड़ के कान चरते समय जमीन को छूते हैं। यह नस्ल बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर में पाई जाती है।
बागड़ी - यह नस्ल अलवर जिले में पाई जाती है।
एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी - बीकानेर
ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला - बीकानेर
केंद्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान केन्द्र - अविकानगर टोंक में है इसका उद्देश्य ऊन व मांस उत्पादन में सुधार लाना है।
भेड़ की विदेशी नस्ल
रूसी मेरिनो - टोंक ,जयपुर, सीकर
रेंबुले - टोंक
कोरिडेल - चित्तौड़गढ़
मुर्गी पालन परीक्षण केन्द्र अजमेर में स्थित है।
राजस्थान में सर्वाधिक ऊंट बाड़मेर जिले में पाए जाते है तथा न्यूनतम झालावाड़ जिले में होते है।
राजस्थान में ऊंट को 19 सितम्बर 2014 को राज्य पशु घोषित किया गया ।
ऊंट वध रोक अधिनियम को राष्ट्रपति ने 21 सितम्बर को मंजूरी दी है।
जैसलमेर का नाचना ऊंट सबसे अच्छा माना जाता है। फलोदी के पास गोमठ का ऊंट सवारी की दृष्टि से उत्तम है।
ऊंट की नस्ल
जेसलमेरी, बीकानेरी, अलवरी, कच्छी
बीकानेर में ऊंट की खाल पर मीनाकारी की जाती है जिसे उस्ता कला कहा जाता है राजस्थान में उस्ता कला के प्रमुख कलाकार हिसामुद्दीन है।
ऊंट की उन्नत नस्ल को विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जोहड़बिड़ बीकानेर में ऊंट प्रजनन केन्द्र संचालित किया जा रहा है यही पर केंद्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र है।
मारवाड़ी घोड़े - यह घोड़े राजस्थान के पश्चिमी भागों में होते है।
केंद्रीय अश्व अनुसंधान व प्रजनन केंद्र जोहड़बीड बीकानेर में स्थित है।
अश्व प्रजनन केंद्र बिलाड़ा जोधपुर में स्थित है।
गधों की संख्या सर्वाधिक बाड़मेर जिले में है।
यहां पर सबसे ज्यादा गिर नस्ल के बैल, ऊंट, घोड़ों की बिक्री होती है।
इस मेले का आयोजन पशु पालन विभाग द्वारा किया जाता है।
20 वी पशु गणना भारत की पहली डिजिटल पशु गणना है।
20वी पशु गणना में राजस्थान में कुल 5 करोड़ 68 लाख पशु धन है।
19 वी पशु गणना में राजस्थान 5 करोड़ 77 लाख पशुधन थे
19वी पशु गणना की तुलना में 20 वी पशु गणना में 1.66% पशुधन में कमी आयी है।
राजस्थान में सर्वाधिक ओर सबसे कम पशुधन वाले जिले
राजस्थान में सर्वाधिक पशु घनत्व वाला जिला - डूंगरपुर
राजस्थान में सबसे कम पशु घनत्व वाला जिला - जैसलमेर
राजस्थान में सर्वाधिक पशु सम्पदा वाला जिला - बाड़मेर
राजस्थान में सबसे कम पशु सम्पदा वाला जिला - धौलपुर
राजस्थान में सर्वाधिक गौ वंश वाला जिला - उदयपुर
राजस्थान में सबसे कम गौ वंश वाला जिला - धौलपुर
राजस्थान में सर्वाधिक भैंसो वाला जिला - जयपुर
राजस्थान में सबसे कम भैंसो वाला जिला - जैसलमेर
राजस्थान में सर्वाधिक भेड़ों वाला जिला - बाड़मेर
राजस्थान में सबसे कम भेड़ों वाला जिला - धौलपुर
राजस्थान में सर्वाधिक बकरियों वाला जिला - बाड़मेर
राजस्थान में सबसे कम बकरियों वाला जिला - धौलपुर
राजस्थान में सर्वाधिक घोड़ों वाला जिला - बीकानेर
राजस्थान में सबसे कम घोड़ों वाला जिला - डूंगरपुर
राजस्थान में सर्वाधिक ऊंटों वाला जिला - जैसलमेर
राजस्थान में सबसे कम ऊंटों वाला जिला - प्रतापगढ़
राजस्थान में सर्वाधिक गधों वाला जिला - बाड़मेर
राजस्थान में सबसे कम गधों वाला जिला - टोंक
राजस्थान में सर्वाधिक मुर्गियों वाला जिला - अजमेर
राजस्थान में पशुपालन
बकरी
राजस्थान में सर्वाधिक बकरी बाड़मेर जिले में पाई जाती है तथा न्यूनतम बकरी धौलपुर जिले में है। बकरी पालन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। इसे गरीब की गाय भी कहते है। बकरी का मांस चेवनी कहलाता है।राजस्थान के वरुणा गांव की बकरिया प्रसिद्ध है।
राजस्थान में बकरी की निम्न किस्में पाई जाती है
शेखावाटी - चूरू, सीकर
लोही - श्री गंगानगर, हनुमानगढ़
परबतसरी - नागौर
अलवरी - इसे झखराना भी कहती है।
बरबरी - उदयपुर
सिरोही - सिरोही जिले
मारवाड़ी - जोधपुर , नागौर
गाय
राजस्थान में सर्वाधिक गाय उदयपुर में तथा सबसे कम गाय धौलपुर में पाई जाती है।गोवंश परिपालन केन्द्र व नस्ल सुधार के लिए फर्टिलाइजर सेंटर की स्थापना नोहर हनुमानगढ़ में की गई।
गाय की नस्ले
राठी - राठी गाय के बैल श्रेष्ठ होते है, इसे राजस्थान की कामधेनु कहते है, यह सर्वाधिक दूध देती है। राठी गाय गंगानगर, बीकानेर क्षेत्र में पाई जाती है।
थारपारकर - यह जैसलमेर में पाई जाती है, इसका मूल क्षेत्र मालानी क्षेत्र है।
कांकरेज - यह बाड़मेर, जैसलमेर, सिरोही जिले में पाई जाती है।
मालवी - इस गाय की नस्ल कोटा, बारां, चित्तौड़गढ़, बूंदी, झालावाड़, प्रतापगढ़ में पाई जाती है।
मेवाती - अलवर, भरतपुर, धौलपुर
हरियाणवी - चूरू, झुंझुनूं, सीकर
गिर/रेडा - अजमेर जिले पाई जाती है इसका मूल स्थान गुजरात है यह एक द्वी प्रयोजनिय नस्ल है यह नस्ल दूध ओर कृषि के लिए दोनों के लिए उपयोगी है।
गाय की विदेशी नस्ल
जर्सी - गाय की यह नस्ल मध्य पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है इसका मूल स्थान अमेरिका है। यह गाय कम उम्र में दूध देने लगती है। यह गाय दूध देने में अग्रणी है इसके दूध में वसा की मात्रा 4% होती है।
होलिस्टिन - यह गाय मध्य पूर्वी राजस्थान में पाई जाती है। इसका मूल स्थान हॉलैंड व अमेरिका है। इसके शरीर पर काले चकते होते है।
रेड डेन - इसका मूल स्थान डेनमार्क है।
भैंस
राजस्थान में सर्वाधिक भैंसे जयपुर में पाई जाती है तथा सबसे कम जैसलमेर जिले में पाई जाती है।भैंस की नस्ल
मुर्राह नस्ल - राजस्थान में सर्वाधिक मुर्राह नस्ल की भैंस पाई जाती है। यह भेंस दूध उत्पादन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। राजस्थान में यह नस्ल जयपुर, भरतपुर, अलवर, में पाई जाती है। इसका मूल स्थान मुल्तान पाकिस्तान है। भरतपुर के कुम्हेर में मुर्राह नस्ल की भैंस का प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया है। राजस्थान में भेंस अनुसंधान केंद्र व प्रजनन केंद्र वल्लभनगर टोंक में स्थित है।
भैंस की अन्य नस्लों में मुरादाबादी, जाफराबादी, भदावरी, नागपुरी
भदावरी नस्ल में सर्वाधिक वसा की मात्रा होती है।
भेड़
राजस्थान में सर्वाधिक भेडे बाड़मेर में पाई जाती है तथा सबसे कम भेड़ धौलपुर जिले में पाई जाती है।राजस्थान में भेड़ों की नस्ल
नाली - गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूं व बीकानेर
मगरा - जैसलमेर, बीकानेरी, चूरू, नागौर
चौखला/शेखावाटी - इस भेड़ से अच्छी किस्म की ऊन प्राप्त होती है। इसे भारतीय मेरिनो कहते है। यह चूरू, झुंझुनूं, बीकानेर, नागौर में पाई जाती है।
मारवाड़ी - राजस्थान में सर्वाधिक भेड़े इसी नस्ल की पाई जाती है। यह जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, पाली,जयपुर, दौसा, अजमेर, राजसमन्द, सीकर में पाई जाती है।
मालपुरी - जयपुर दौसा टोंक
सोनाडी/चनोथर - इस नस्ल की भेड़ के कान चरते समय जमीन को छूते हैं। यह नस्ल बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर में पाई जाती है।
बागड़ी - यह नस्ल अलवर जिले में पाई जाती है।
एशिया की सबसे बड़ी ऊन मण्डी - बीकानेर
ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला - बीकानेर
केंद्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान केन्द्र - अविकानगर टोंक में है इसका उद्देश्य ऊन व मांस उत्पादन में सुधार लाना है।
भेड़ की विदेशी नस्ल
रूसी मेरिनो - टोंक ,जयपुर, सीकर
रेंबुले - टोंक
कोरिडेल - चित्तौड़गढ़
मुर्गी पालन
राजस्थान में मुर्गीपालन में अजमेर प्रथम स्थान पर है। अजमेर में संकर नस्ल की मुर्गियां पाई जाती है। जयपुर में कुक्कुट विकास हेतु केज सिस्टम विकसित किया गया है।मुर्गी पालन परीक्षण केन्द्र अजमेर में स्थित है।
ऊंट
राजस्थान का देश में ऊंट की संख्या दृष्टि से प्रथम स्थान है।राजस्थान में सर्वाधिक ऊंट बाड़मेर जिले में पाए जाते है तथा न्यूनतम झालावाड़ जिले में होते है।
राजस्थान में ऊंट को 19 सितम्बर 2014 को राज्य पशु घोषित किया गया ।
ऊंट वध रोक अधिनियम को राष्ट्रपति ने 21 सितम्बर को मंजूरी दी है।
जैसलमेर का नाचना ऊंट सबसे अच्छा माना जाता है। फलोदी के पास गोमठ का ऊंट सवारी की दृष्टि से उत्तम है।
ऊंट की नस्ल
जेसलमेरी, बीकानेरी, अलवरी, कच्छी
बीकानेर में ऊंट की खाल पर मीनाकारी की जाती है जिसे उस्ता कला कहा जाता है राजस्थान में उस्ता कला के प्रमुख कलाकार हिसामुद्दीन है।
ऊंट की उन्नत नस्ल को विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जोहड़बिड़ बीकानेर में ऊंट प्रजनन केन्द्र संचालित किया जा रहा है यही पर केंद्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र है।
घोड़े व गधे
मालानी घोड़े - मालानी घोड़े बीकानेर, बाड़मेर, जालोर, जोधपुर में मिलते है।मारवाड़ी घोड़े - यह घोड़े राजस्थान के पश्चिमी भागों में होते है।
केंद्रीय अश्व अनुसंधान व प्रजनन केंद्र जोहड़बीड बीकानेर में स्थित है।
अश्व प्रजनन केंद्र बिलाड़ा जोधपुर में स्थित है।
गधों की संख्या सर्वाधिक बाड़मेर जिले में है।
राजस्थान में पशु मेलें
चंद्रभागा पशु मेला - झालरापाटन
झालावाड़ जिले में यह पशु मेला झालरापाटन में आयोजित होता है। चंद्रभागा पशु मेला चंद्रभागा नदी के किनारे भरता है।
यह कार्तिक सुदी ग्यारस से माघ शीर्ष पंचम तक भरता है।इस मेले में मालवी नस्ल के बैलो का सर्वाधिक क्रय विक्रय होता है।श्री जसवंत सागर पशु मेला - भरतपुर
यह पशु मेले का आयोजन महाराजा जसवंतसिंह की याद में भरता है। यह पशु मेला आश्विन सुदी पंचम से आश्विन सुदी चौदस तक लगता है। इस पशु मेले हरियाणा नस्ल के बैलो कि बिक्री होती है।पुष्कर पशु मेला - अजमेर
पुष्कर मेला राजस्थान का एक प्रसिद्ध पशु मेला है। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का पशु मेला है। यह मेला कार्तिक शुक्ल अष्टमी से माघ शीर्ष कृष्णा दुज तक भरता है।यहां पर सबसे ज्यादा गिर नस्ल के बैल, ऊंट, घोड़ों की बिक्री होती है।
मल्लिनाथ पशु मेला - बाड़मेर
यह पशु मेला तिलवाड़ा बाड़मेर में आयोजित होता है। यह वीर योद्धा मल्लीनाथ की स्मृति में प्रतिवर्ष चैत्र बदी ग्यारस से चैत्र सुदी ग्यारस तक लगता है।इस मेले का आयोजन पशु पालन विभाग द्वारा किया जाता है।
वीर तेजाजी पशु मेला - परबतसर
यह पशु मेला परबतसर नागौर में लगता है। यह मेला वीर तेजाजी की स्मृति में भाद्र शुक्ल पक्ष दशमी तेजा दशमी को लगता है। इस मेले का आयोजन पशु पालन विभाग करता है।महाशिवरात्रि पशु मेला - करोली
इस पशु मेले का आयोजन शिवरात्रि पर होता है। यह पशु मेला करोली जिले में भरता है। यह एक राज्यस्तरीय पशु मेला है। इस पशु मेले का आयोजन फाल्गुन चौदस को होता है। यहां पर हरियाणवी नस्ल के पशुओं की बिक्री होती है।गोमती सागर पशु मेला - झालरापाटन
यह पशु मेला झालरापाटन झालावाड़ में आयोजित होता है। यह मेला गोमती सागर नदी के किनारे भरता है। यह पशु मेला हाड़ौती अंचल का सबसे बड़ा मेला है। इसका आयोजन वैशाख शुदी तेरस से ज्येष्ठ बुदी पंचम तक लगता है।गोगामेड़ी पशु मेला - हनुमानगढ़
गोगामेड़ी पशु मेला गोगामेड़ी हनुमानगढ़ में लगता है। यहां पर वीर गोगा जी की समाधि है। श्रावण सुदी पूर्णिमा से भाद्रपद सुदी पूर्णिमा तक इस मेले का आयोजन होता है।
श्री बलदेव पशु मेला - मेड़ता
यह मेला मेड़ता सिटी नागौर जिले में भरता है। यह मेला सुप्रसिद्ध किसान नेता श्री बलदेव राम जी मिर्धा की स्मृति में आयोजित होता है। यह मेला चैत्र सूदी एकम से चैत्र सुदी पूर्णिमा तक भरता है। इस मेले में सर्वाधिक बिक्री नागोरी बेलो कि होती है।श्री रामदेव पशु मेला - नागौर
इस मेले कि शुरुआत मारवाड़ नरेश उम्मेद सिंह जी ने की थी। यह मेला नागौर के समीप मानसर गांव में लगता है। यहां बाबा रामदेव का मंदिर है मेले में आने वाले लोग पशुओं के स्वास्थ्य कामना कि मनोत मांग कर खरीद - फरोख्त करते है।राजस्थान में पशु अनुसंधान केन्द्र
केंद्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान संस्थान - अविकानगर टोंक
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान - अविकानगर टोंक
बकरी विकास एवं चारा उत्पादन केंद्र - रामसर अजमेर
केंद्रीय ऊंट अनुसंधान संस्थान - जोहडबिड बीकानेर
केंद्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र - जोहड़ बिड़ बीकानेर
राजस्थान में पशु प्रजनन केंद्र
गौ वंश - डग ( झालावाड़ ), कुम्हेर ( भरतपुर ), नागौर
भेंस - वल्लभनगर ( उदयपुर )
भेड़ - अविकानगर टोंक
बकरी - रामसर ( अजमेर )
ऊंट - जोहड़ बिड ( बीकानेर )
मुर्गी - अजमेर
sir muze apke notes bhut ache lage isse muje tyari kare me bhut help milte
ReplyDeletethank you sir
Sabse jyada pashu ghanatw dosa aur rajsamand 2019 ke anusar
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