-->

Thursday 21 May 2020

राजस्थान की जलवायु

                 राजस्थान की जलवायु

राजस्थान के जलवायु क्षेत्र
राजस्थान

                       राजस्थान की जलवायु



जलवायु - किसी स्थान विशेष की दीर्घकालीन वायु की अवस्था को जलवायु कहते है।
मौसम - किसी स्थान विशेष की अल्पकालीन वायु की अवस्था को मौसम कहते है। इसकी उत्पति एक अरबी भाषा के शब्द मोसिम से है जिसका अर्थ है पवन की दिशा।
विश्व में सबसे पहले जलवायु की व्याख्या अरबी यात्री हिप्पॉट्स ने की थी।
भारत में सबसे पहले जलवायु की व्याख्या एक अरबी यात्री अल मसूदी ने की थी।
राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक -
राजस्थान की अक्षांशिय स्थिति।
अरावली पर्वतमाला की दिक स्थिति।
थार का मरुस्थल।
महाद्वीपीयता (समुद्र से दूरी)
समुद्र से ऊंचाई।
तापमान।
वर्षा/ आद्रता
महासागरीय धाराएं।
पछुआ पवनें।

जलवायु के आधार पर राजस्थान में ऋतुएं

1. ग्रीष्म ऋतु - मार्च से मध्य जून
2. शीत ऋतु - मध्य जून से सितंबर
3.वर्षा ऋतु - मध्य नवम्बर से फरवरी
अक्टूबर से नवम्बर में मानसून को प्रत्यावर्तन या लोटता मानसून कहते है।
राजस्थान का सबसे गर्म जिला - चूरू।
राजस्थान का सबसे गर्म स्थान - फलोदी।
राजस्थान का सबसे गर्म महीना - जून।
राजस्थान का सबसे ठंडा जिला - चूरू।
राजस्थान का सबसे ठंडा स्थान - माउंट आबू।
राजस्थान का सबसे ठंडा महीना - जनवरी।
राजस्थान का सबसे ज्यादा वर्षा वाला जिला - झालावाड़।
राजस्थान का सबसे ज्यादा वर्षा वाला स्थान - माउंट आबू।
राजस्थान का सबसे ज्यादा वर्षा वाला महीना - अगस्त।
ग्रीष्म ऋतु - थार के मरुस्थल में चलने वाली गरम हवाएं लू कहलाती है।
भभुल्या - ग्रीष्म ऋतु में वायु का आकस्मिक आने वाला चक्रवात।
ग्रीष्म ऋतु में धूल भरी आंधीया चलती रहती है।
मानसून की प्रकिया
तापीय सिद्धांत - डेडले स्टाम्प।
विषुवत प्रवाह - फ्लोन
जेट स्ट्रीम सिद्धांत - यीस्ट
मानसून - मानसून सामयिक पवन है जो समय के साथ परिवर्तन होता है।
मार्च के महीने में सूर्य भूमध्य रेखा पर सीधा चमकता है जिसके फलस्वरूप निम्न वायुदाब क्षेत्र उत्पन होता है तो उपोषण वायुदाब पेटी से उत्तरी गोलार्ध ओर दक्षिणी गोलार्ध में व्यापारिक पवने निम्न वायुदाब की ओर गमन करती है। यही व्यापारिक पवने स्थाई पवन का उदाहरण है।
ग्रीष्म ऋतु में निम्न वायुदाब का निर्माण होता है।
भारत में ग्रीष्म ऋतु में दक्षिण पश्चिम मानसून आता है।
भारतीय मानसून कि उत्पति हिन्द महासागर से होती है यह मानसून दक्षिण पश्चिम मानसून के रूप में जाना जाता है।
दक्षिण पश्चिम मानसून की दिशा समुद्र से स्थल की ओर होती है।
भारत में दक्षिण पश्चिम मानसून की अरब सागरीय व बंगाल की खाड़ी शाखा प्रवेश करती है।

राजस्थान में दक्षिण पश्चिम मानसून ग्रीष्म ऋतु में आता है।

दक्षिण पश्चिम मानसून की दो शाखाएं राजस्थान में प्रवेश करती है।

1.दक्षिण पश्चिम मानसून की अरबसागरीय शाखा -
    राजस्थान में सबसे पहले अरबसागरीय मानसून शाखा प्रवेश करती है। राजस्थान में मानसून बांसवाड़ा जिले में प्रवेश करता है। बांसवाड़ा को राजस्थान के मानसून का प्रवेशद्वार कहा जाता है। अरबसागरीय मानसून से राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, सिरोही जिले में वर्षा होती है। इन जिलों में अरबसागरीय मानसून से इन जिलों में 10% वर्षा होती है। इस मानसून की सर्वाधिक सक्रियता व ठहराव सिरोही जिले में होता है। यह मानसून राजस्थान में 15 जून के मध्य प्रवेश करता है।
दक्षिण पश्चिम मानसून की अरबसागरीय शाखा से थार के मरुस्थल में वर्षा का नहीं होने का कारण -
 मानसूनी हवाओं का अरावली के समानांतर होना।
समुद्र से दूरी होने के कारण भी वर्षा नहीं होती है।
अरबसागरीय मानसून की राजस्थान में दिशा दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व है।
2. दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा -
पुरवाइया -दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा से आने वाली मानसूनी हवाएं पुरवाईया कहलाती है।
राजस्थान में बंगाल की खाड़ी शाखा हाड़ौती का पठार से प्रवेश करती है। यह झालावाड़ जिले से प्रवेश करती है।
राजस्थान में बंगाल की खाड़ी की दिशा दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम है।
राजस्थान में बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा से 90% वर्षा होती है।
बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा से पश्चिमी राजस्थान में वर्षा नहीं होती क्योंकि यह अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश है।
राजस्थान में इस मानसून का सर्वाधिक सक्रियता बांसवाड़ा ओर डूंगरपुर में है।
अलनिनो - प्रशांत महासागरीय गरम जलधारा को अलनीनो कहते है। इसकी उत्पति 25 दिसम्बर के आस पास होती है इसलिए इसे बालक इशा के नाम से जाना जाता है।
जब अलनिनो धारा का प्रभाव अधिक होगा तो यहां मानसून को कमजोर करेगी और राजस्थान में अकाल या अनावृष्टि का प्रभाव होता है।
लालिनो - यह भी प्रशांत महासागरीय गरम जलधारा है जब लालीनो जलधारा का प्रभाव कम होता हैं तो राजस्थान में मानसून अधिक सक्रिय होगा ओर राजस्थान में अतिवृष्टि होगी।

                   जलवायु का वर्गीकरण

भारतीय मौसम विभाग ने वर्षा, तापमान, आद्रता के आधार पर राजस्थान के जलवायु को 5 जलवायु प्रदेशों  में विभाजित किया है।

1. शुष्क या मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश -

शुष्क जलवायु प्रदेश में वर्षा की मात्रा 10-20 सेमी. होती है।
ग्रीष्म ऋतु में इस जलवायु प्रदेश का तापमान 40-45' c होता है।
शीतकाल में इस जलवायु प्रदेश का तापमान 0-10' c रहता है।
इस जलवायु प्रदेश में राजस्थान के दक्षिण गंगानगर, जैसलमेर, पश्चिम जोधपुर, उत्तरी बाड़मेर, पश्चिम बीकानेर जिले सम्मिलित है।
इस जलवायु प्रदेश का प्रतिनिधित्व जैसलमेर जिला करता है
विशेषताएं -
मृदा -  इस जलवायु प्रदेश एरिडिसोल मृदा/ शुष्क मृदा पायी जाती है।
वनस्पति - इस जलवायु प्रदेश में मरुदभिद (जीरोफाइट्स) वनस्पति पायी जाती है।
यहां दैनिक तथा वार्षिक तापांतर उच्च होता है।

2. अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश -

इस जलवायु प्रदेश में वर्षा की मात्रा 20-40 सेमी. होती है।
ग्रीष्म ऋतु में इस जलवायु प्रदेश का तापमान 36-42' c रहता है।
शीतकाल में इस जलवायु प्रदेश का तापमान 10-17'c रहता है
इस जलवायु प्रदेश का विस्तार अरावली का पश्चिम भाग है, इसमें मुख्यत जोधपुर, पाली, बाडमेर, नागौर, हनुमानगढ़, गंगानगर आते है।
इस जलवायु प्रदेश का प्रतिनिधित्व नगर जोधपुर है।
विशेषता -
मृदा - सामान्यत यहां पर रेतीली बलुई मिट्टी ( एंटिसोल) पायी जाती है।
वनस्पति - इस जलवायु प्रदेश में मानसूनी पतझड़ वन या स्टेपी तुल्य वनस्पति पाई जाती है।

3. उप आद्र जलवायु प्रदेश -

इस जलवायु प्रदेश में वर्षा 40-60 सेमी होती है।
ग्रीष्म ऋतु में यहां का तापमान 28-36' c होता है तथा शीतकाल में यहां का तापमान 12-18' c होता है।
विस्तार - इस जलवायु प्रदेश में पूर्वी मैदानी प्रदेश ओर मध्य पूर्वी राजस्थान का भाग आता है इसमें जयपुर, अलवर, भरतपुर,  दौसा, टोंक  अजेमर ओर भीलवाड़ा जिले सम्मिलित है, इस जलवायु प्रदेश का प्रतिनिधित्व जयपुर जिला करता है।
विशेषताएं -
इस जलवायु प्रदेश में जलोढ ( एल्फिसोल)मृदा पाई जाती है।
यहां पर मिश्रित वन (धोकड़ा) पाए जाते है।
यह जलवायु प्रदेश राजस्थान में सम जलवायु प्रदेश का निर्माण करता है।

4. आर्द्र जलवायु प्रदेश -

इस जलवायु प्रदेश में वर्षा की मात्रा 60-80 सेमी रहती है।
ग्रीष्म ऋतु में तापमान 30-34' c रहता है वहीं शीतकाल में यहां का तापमान 10-17' c रहता है।
इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत धौलपुर, करोली,सवाई माधोपुर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, सिरोही का कुछ भाग आता है। इसमें राजस्थान का दक्षिण ओर पूर्वी भाग आता है।
इस जलवायु प्रदेश का प्रतिनिधित्व सवाई माधोपुर जिला करता है।
विशेषताएं - इस जलवायु प्रदेश में वनस्पति साल, खेर ,तेंदू आदि पाई जाती है।

5.  अति आर्द्र जलवायु प्रदेश

इस जलवायु प्रदेश में वर्षा 80-100 सेमी या उससे भी अधिक होती है।
इस जलवायु प्रदेश का तापमान ग्रीष्म ऋतु में 30-40' c तक रहता है।
शीतकाल मे इस जलवायु प्रदेश का तापमान 10-17'c रहता है।
विस्तार - राजस्थान के दक्षिण पूर्वी जिले इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत आते है इसमें डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर,कोटा बारां, झालावाड़,  प्रतापगढ़ व माउंट आबू है।
इस जलवायु प्रदेश का प्रतिनिधित्व जिला झालवाड़ है।
विशेषताएं - इस जलवायु प्रदेश में सवाना तुल्य वनस्पति जैसे बेंत बांस आदि पाई जाती है।


                   कोपेनहेगन का वर्गीकरण

कोपेनहेगन जलवायु वर्गीकरण
राजस्थान के जलवायु प्रदेश

ब्लादीमिन कोपेनहेगन जर्मनी का एक भूगोल ज्ञाता था। उसने विश्व को वनस्पति आधार पर 5 जलवायु प्रदेश में विभाजित किया था।


1. उष्ण कटिबंधीय आद्रता जलवायु प्रदेश
2.उष्ण कटिबंधीय शुष्क जलवायु प्रदेश
3.उप आर्द्र जलवायु प्रदेश
4. शीतोष्ण जलवायु प्रदेश
5. शीत/ध्रुवीय जलवायु प्रदेश

कोपेनहेगन ने राजस्थान को वनस्पति के आधार पर चार जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया।

1. Bwhw - उष्ण कटिबंधीय मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश

इस जलवायु प्रदेश में वर्षा की मात्रा 10-20' सेमी है
इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में तापमान 35' c रहता है।
शीतकाल में इस जलवायु प्रदेश का तापमान 12-18'c रहता है।
विस्तार क्षेत्र - इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर तथा पश्चिम जोधपुर का भाग आता है।
इस जलवायु प्रदेश का प्रतिनिधित्व बीकानेर जिला करता है।
विशेषता - इस जलवायु प्रदेश में एरीडिसोल शुष्क मृदा पाई जाती है
वनस्पति - यहां पर मुख्यत जीरोफाइट्स मरूदभीद वनस्पति पाई जाती है।

Latest Current affairs के लिए यहां क्लिक करें

2.Bshw - उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश


इस जलवायु प्रदेश में वर्षा की मात्रा 20-40' सेमी होती है।
ग्रीष्म काल में इस जलवायु प्रदेश में तापमान 30-35' c होता है तथा शीतकाल में तापमान 15-20' होता है।
विस्तार - उष्ण कटिबंधिय अर्द्ध जलवायु प्रदेश में हनुमानगढ़,सीकर,झुंझुनू,चूरू,जोधपुर,नागौर,पाली,जालोर ओर बाड़मेर क्षेत्र आते है।
इस जलवायु का प्रतिनिधि नगर नागौर है।
विशेषताएं - इस जलवायु प्रदेश में एंटीसोल मृदा पाई जाती है।
वनस्पति - यहां मुलायम घास के मैदान ओर स्टेपि तुल्य वनस्पति पायी जाती है। इनमे मुख्यत ढामन, करड है।

3. Cwg - उप आर्द्र जलवायु प्रदेश

उप आर्द्र जलवायु प्रदेश में वर्षा की मात्रा 40-60 सेमी होती है।
ग्रीष्म ऋतु में यहां का तापमान 28-34' c रहता है।
शीतकाल में यहां का तापमान 12-18' c रहता है।
विस्तार
उप आर्द्र जलवायु प्रदेश का विस्तार मध्य पूर्वी क्षेत्र है।
इसका प्रतिनिधितत्व नगर टोंक है।
विशेषताएं - इस जलवायु प्रदेश में ऐल्फिसोल मृदा पायी जाती है।
यहां मिश्रित पतझड़ वन धोकडा वनस्पति पायी जाती है।
कोपेनहेगन वर्गीकरण के अनुसार यह राजस्थान का सबसे बड़ा जलवायु प्रदेश है।

4. Aw - उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु प्रदेश

इस जलवायु प्रदेश में वर्षा की मात्रा 80-100 सेमी होती है।
ग्रीष्म ऋतु में यहां का तापमान 30-40' c रहता है।
शीतकाल में इस जलवायु प्रदेश में तापमान 12-15' c रहता है।
विस्तार - इस जलवायु प्रदेश में दक्षिण ओर दक्षिण पूर्वी जिले सम्मिलित है।
इस जलवायु प्रदेश का प्रतिनिधित्व नगर बांसवाड़ा है।
विशेषताएं - इस जलवायु प्रदेश की मृदा लाल लोमी ओर माध्यम काली होती है।
वनस्पति - इस जलवायु प्रदेश में सवाना तुल्य वनस्पति पाई जाती है
कोपेनहेगन के वर्गीकरण के अनुसार यह राजस्थान का सबसे छोटा जलवायु प्रदेश है

                    थार्नबेट का वर्गीकरण


थार्नबेट ने राजस्थान को चार जलवायु प्रदेश में विभाजित किया
E A'd - उष्ण कटिबन्धीय मरुस्थल - जैसलमेर प्रतिनिधित्व
D B'w - मध्य तापीय अर्द्ध शुष्क जलवायु - बीकानेर प्रतिनिधित्व नगर
D A'w - उष्ण कटिबन्धीय उप आर्द्र जलवायु - अजमेर प्रतिनिधित्व नगर
CA'w - उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु - डूंगरपुर प्रतिनिधित्व नगर

                   टिवार्थो का वर्गीकरण
Bwh - उष्ण कटिबन्धीय मरुस्थलीय जलवायु प्रदेश - जैसलमेर प्रतिनिधित्व नगर
Bsh - अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश - नागौर प्रतिनिधित्व नगर
Caw -   उपोष्न कटिबन्धीय जलवायु प्रदेश - सवाई माधोपुर प्रतिनिधित्व नगर
Aw -  उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु प्रदेश - डूंगरपुर प्रतिनिधित्व नगर।

राजस्थान की जलवायु की विशेषताएं -

राजस्थान में शुष्क व अर्द्ध शुष्क जलवायु पाई जाती है।
राजस्थान में ओसत वर्षा की मात्रा 57.51. सेमी है।
राजस्थान में अधिकांश वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है।
शीत ऋतु में होने वाली वर्षा को मावट कहते है।
यहां गरम धूल भरी आंधियां है जिसे लू कहते है।
राजस्थान में अरब सागरीय शाखा से 10% वर्षा होती है तथा बंगाल की खाड़ी से 90% वर्षा होती है।
                 राजस्थान सामान्य ज्ञान

3 comments:

thanks


rajasthan gk

Labels

Popular Posts

Categories

Blog Archive

Search This Blog