राजस्थान का भूगोल ( भौतिक संरचना)
भौतिक स्वरूप भाग 1
राजस्थान का क्षेत्रफल 342239 वर्ग km है यह भारत के क्षेत्रफल का 10.41% है
राजस्थान को कुल चार भौतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है
1. पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
2.अरावली पर्वतमाला
3.पूर्वी मैदानी भाग
4.दक्षिण - पूर्वी पठारी प्रदेश
1.पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
राजस्थान के पश्चिम मरुस्थलीय प्रदेश में 12 जिले आते हैं जो अरावली पर्वतमाला के पश्चिम दिशा में आते है इन जिलों में थार के रेगिस्थान के कुल भाग का 61.11% आता है जिसमे 40% जनसंख्या निवास करती है
यह विश्व का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला मरुस्थल है इस मरुस्थल में सर्वाधिक जैव विविधता पाई जाती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में ऋतु चक्र को नियंत्रित करती है। यह उपमहाद्वीप में मानसून को आकर्षित करता है
थार मरुस्थल टेथीस सागर के अवशेष का ही एक भाग है यहां पर टेथीस सागर के प्रमाण के रूप में थार के मरुस्थल में अवसादी चट्टानों का पाया जाना, जीवाश्म खनिज (कोयला,पेट्रोलियम,प्राकृतिक गेस) आदि का मिलना, कुलधारा गांव में मछली के अवशेष मिलना, आक़ल गांव में जीवाश्म पार्क ओर यहां पर स्थित खारे पानी की झीलें है।
पश्चिमी मरुस्थल को दो भागों में बांटा गया है
1. शुष्क रेतीला प्रदेश।
इसमें बालुका स्तूप मुक्त ओर बालुका स्तूप युक्त दो उपभाग है
बालुका स्तूप मुक्त -
इसमें मरुस्थल के रूप में पथरीली चट्टाने पाई जाती है जिसे हम्माद कहते है यह शुष्क रेतीले प्रदेश का 41.50% है, यह मुख्यत जैसलमेर, जोधपुर,बाड़मेर ओर जालोर तक पाया जाता है
बालुका स्तूप युक्त -
इसमें रेतीला मरुस्थल होता है, यह जैसलमेर बाड़मेर,बीकानेर में इसका विस्तार है
मरुस्थल में वर्षा का जल भर जाने से अस्थाई झीलों का निर्माण होता है उन्हें रन (runn) कहते है
पुरवाईया - दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं को पुरवाईया कहते है।
लाठी सीरीज क्षेत्र - सेवन घास के मैदान को लाठी सीरीज क्षेत्र कहते है यह पोकरण,जैसलमेर में पाई जाती है स्थानीय भाषा में इसको लिलोन कहते है rajasthan gk
इस मरुस्थलीय क्षेत्र में पीवना सांप पाया जाता है
थार के मरुस्थल पारिस्थितिकी संतुलन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है
2. अर्ध शुष्क प्रदेश
इसे चार उप भाग में विभाजित किया गया है
घग्घर प्रदेश -
इस प्रदेश में घग्घर नदी प्रवाहित होने के कारण इसका नाम घग्घर प्रदेश पड़ा इसमे गंगानगर ओर हनुमानगढ़ जिले आते है।
घग्घर नदी द्वारा निर्मित क्षेत्र को पाट कहते है ओर इस पाट को नाली कहते है यह एक आंतरिक जल प्रवाह की नदी है
शेखावटी क्षेत्र - यहां अनियमित आकार के बालुका स्तूप होते है यहां कांतली नदी जो आंतरिक प्रवाह की नदी है भारत में ताम्र युगीन सभ्यता की जननी है। गणेश्वर सभ्यता कांतली नदी के किनारे (सीकर) में स्थित है
नागोरी उच्च भूमि -
यह अरावली पर्वतमाला से अलग पहाड़ी क्षेत्र है, इसमें मकराना श्रेणी जिसमे संगमरमर पाया जाता है, मांगलोद श्रेणी जिसमे जिप्सम पाया जाता है, जायल श्रेणी जिसमे फ्लोराइड युक्त कुबड़पट्टी पाई जाती है यह कुबड़पट्टी नागौर से अजमेर का क्षेत्र कहलाता है
गोड़वाड़ प्रदेश -
इस क्षेत्र में लूणी बेसिन प्रदेश आता है यह जालोर,पाली,जोधपुर,बाड़मेर मुख्यत है
छप्पन की पहाड़ियां - सिवाना से बालोतरा बाड़मेर के मध्य स्थित पहाड़ीया छप्पन की पहाड़ियां कहलाती है।
rajasthan gk
rajasthan ka bhugol in hindi
इसे देखिए - अरावली पर्वतीय प्रदेश
थार मरुस्थल टेथीस सागर के अवशेष का ही एक भाग है यहां पर टेथीस सागर के प्रमाण के रूप में थार के मरुस्थल में अवसादी चट्टानों का पाया जाना, जीवाश्म खनिज (कोयला,पेट्रोलियम,प्राकृतिक गेस) आदि का मिलना, कुलधारा गांव में मछली के अवशेष मिलना, आक़ल गांव में जीवाश्म पार्क ओर यहां पर स्थित खारे पानी की झीलें है।
पश्चिमी मरुस्थल को दो भागों में बांटा गया है
1. शुष्क रेतीला प्रदेश।
इसमें बालुका स्तूप मुक्त ओर बालुका स्तूप युक्त दो उपभाग है
बालुका स्तूप मुक्त -
इसमें मरुस्थल के रूप में पथरीली चट्टाने पाई जाती है जिसे हम्माद कहते है यह शुष्क रेतीले प्रदेश का 41.50% है, यह मुख्यत जैसलमेर, जोधपुर,बाड़मेर ओर जालोर तक पाया जाता है
बालुका स्तूप युक्त -
इसमें रेतीला मरुस्थल होता है, यह जैसलमेर बाड़मेर,बीकानेर में इसका विस्तार है
मरुस्थल में वर्षा का जल भर जाने से अस्थाई झीलों का निर्माण होता है उन्हें रन (runn) कहते है
पुरवाईया - दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं को पुरवाईया कहते है।
लाठी सीरीज क्षेत्र - सेवन घास के मैदान को लाठी सीरीज क्षेत्र कहते है यह पोकरण,जैसलमेर में पाई जाती है स्थानीय भाषा में इसको लिलोन कहते है rajasthan gk
इस मरुस्थलीय क्षेत्र में पीवना सांप पाया जाता है
थार के मरुस्थल पारिस्थितिकी संतुलन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है
2. अर्ध शुष्क प्रदेश
इसे चार उप भाग में विभाजित किया गया है
घग्घर प्रदेश -
इस प्रदेश में घग्घर नदी प्रवाहित होने के कारण इसका नाम घग्घर प्रदेश पड़ा इसमे गंगानगर ओर हनुमानगढ़ जिले आते है।
घग्घर नदी द्वारा निर्मित क्षेत्र को पाट कहते है ओर इस पाट को नाली कहते है यह एक आंतरिक जल प्रवाह की नदी है
शेखावटी क्षेत्र - यहां अनियमित आकार के बालुका स्तूप होते है यहां कांतली नदी जो आंतरिक प्रवाह की नदी है भारत में ताम्र युगीन सभ्यता की जननी है। गणेश्वर सभ्यता कांतली नदी के किनारे (सीकर) में स्थित है
नागोरी उच्च भूमि -
यह अरावली पर्वतमाला से अलग पहाड़ी क्षेत्र है, इसमें मकराना श्रेणी जिसमे संगमरमर पाया जाता है, मांगलोद श्रेणी जिसमे जिप्सम पाया जाता है, जायल श्रेणी जिसमे फ्लोराइड युक्त कुबड़पट्टी पाई जाती है यह कुबड़पट्टी नागौर से अजमेर का क्षेत्र कहलाता है
गोड़वाड़ प्रदेश -
इस क्षेत्र में लूणी बेसिन प्रदेश आता है यह जालोर,पाली,जोधपुर,बाड़मेर मुख्यत है
छप्पन की पहाड़ियां - सिवाना से बालोतरा बाड़मेर के मध्य स्थित पहाड़ीया छप्पन की पहाड़ियां कहलाती है।
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rajasthan ka bhugol in hindi
इसे देखिए - अरावली पर्वतीय प्रदेश
👍👍👍
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteacha laga
ReplyDeletety
ReplyDeleteGjb
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