-->

Sunday 17 May 2020

राजस्थान का भूगोल ( भौतिक संरचना)

      राजस्थान का भूगोल (भौतिक संरचना)        

            भौतिक स्वरूप भाग 3 ओर 4    

                3. पूर्वी मैदानी प्रदेश

उत्पति - पूर्वी मैदानी प्रदेश की उत्पति प्लिस्टोसिन काल में हुई थी। यहां के मैदानों में गंगा ओर यमुना नदिया द्वारा लाई गई मिट्टियों व जलोढो का जमाव है।
विस्तार - यह भाग राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 23.6% है, यहां 40% जनसंख्या निवास करती है। इस प्रदेश के अन्तर्गत 10 जिले आते है।
पूर्वी मैदानी प्रदेश राजस्थान का सबसे उपजाऊ प्रदेश है और जलोद मृदा क्षेत्र है।
राजस्थान में यह प्रदेश सर्वाधिक कृषि संभावना वाला भौतिक प्रदेश है तथा राजस्थान का सर्वाधिक जनघनत्व वाला भौतिक प्रदेश है।
लूणी बेसिन में प्राचीन कांप मृदा पाई जाती है।
इस भौतिक प्रदेश को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
1. चंबल बेसिन - इसको बीहड़ प्रदेश कहते है।
इस प्रदेश में चंबल नदी के कारण सबसे ज्यादा अवनालिका अपरदन होता है।
अवनालिका अपरदन से बनी हुई कंदरा युक्त भूमि को बीहड़ कहते है, बीहड़ का उच्च भूमि क्षेत्र डांग कहलाता है तथा निम्न भूमि क्षेत्र खादर कहलाता है।
राजस्थान में बीहड़ प्रदेश धौलपुर, करोली, सवाई माधोपुर है यह क्षेत्र डांग प्रदेश कहलाते है।
राजस्थान में सर्वाधिक बीहड़ धौलपुर में स्थित है
करोली को बीहड़ की रानी कहा जाता है।
यहां डांग प्रदेश में लोगो को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए कंदरा क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1989 ई में चलाया गया था।
डांग कार्यक्रम 2004 में शुरू किया गया।
2.बनास बेसिन - इसमें पिंडमांट का मैदान प्रमुख है।
देवगढ़ से भीलवाड़ा के बीच बनास नदी के द्वारा बनाया गया मैदान पिंडमांट कहलाता है।
खेराड़ प्रदेश - जहाजपुर भीलवाड़ा से टोंक के बीच बनास नदी द्वारा बनाया गया मैदान खेराड़ प्रदेश कहलाता है।
रोही का मैदान - जयपुर से भरतपुर के बीच बाणगंगा ओर यमुना का दोआब प्रदेश रोही का मैदान कहलाता है।
3. माही बेसिन - इसमें छप्पन का मैदान प्रमुख है।
प्रतापगढ़ ओर बांसवाड़ा के मध्य छप्पन ग्रामों या नदी नालों के समूह को छप्पन का मैदान कहते है।
कांठल का मैदान - प्रतापगढ़ में माही नदी के किनारे तटवर्ती मैदान कांठल का मैदान कहलाता है।
वागड़ प्रदेश - डूंगरपुर ओर बांसवाड़ा के मध्य क्षेत्र को वागड़ प्रदेश कहते है।




              4. दक्षिण पूर्वी पठारी प्रदेश


उत्पति -  मध्य जीवी महाकल्प (मिसोजाइक एरा) में गोंडवाना लेंड में ज्वालामुखी क्रिया में जो दरारी उद्गार हुआ था उससे दक्षिण पूर्वी पठारी प्रदेश की उत्पति हुई।
विस्तार - इस प्रदेश चार जिले बूंदी, कोटा, बारा ओर झालावाड़ आते है।
यह क्षेत्रफल में राजस्थान का सबसे छोटा भौतिक प्रदेश है।
इसका निर्माण ज्वालामुखी से हुआ है।
यहां मुख्यत आग्नेय बेसाल्ट चट्टानों की प्रधानता है।
इस प्रदेश में काली मिट्टी/कपास मृदा/रेगुर मृदा (वर्टिसोल) पाई जाती है।
राजस्थान में सर्वाधिक नदिया इसी संभाग में है।
इस क्षेत्र कि प्रमुख नदी चंबल नदी है यह दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बहती है।
सर्वाधिक जलीय अपरदन हाड़ौती के पठार में ही होता है।
इसे दो भागो में बांटा गया है।
1. विंध्य कगार क्षेत्र - इस क्षेत्र में अर्द्ध चंद्राकर पहाड़ियां स्थित होती है। जिसमे प्रमख है
बूंदी की पहाड़ियां - यह बूंदी जिले के संतूर में है इसकी ऊंचाई 353 मीटर है
मुकंदरा की पहाड़ियां - कोटा में स्थित है
रामगढ़ पहाड़ी - बारा
नदी निर्मित मैदान - नदियों की अधिकता होने के कारण यहां नदी निर्मित मैदान है।
शाहबाद उच्च भूमि क्षेत्र - पूर्वी बारा में 450 मीटर उच्च भूमि क्षेत्र है।
2. दक्खन के पठार -
डग गंगधर प्रदेश - यह सामान्य से उच्च भूमि क्षेत्र होता है। झालावाड़ का दक्षिण पूर्वी भाग में इसी क्षेत्र में आता है।
झालावाड़ का पठार - यहां काली मृदा की प्रधानता रहती है।

                            महत्वपूर्ण तथ्य  

महान सीमाभ्रंश - इसे great boundary fault कहते है। यह बूंदी और सवाई माधोपुर में है।
अरावली ओर विंध्याचल पर्वतमाला कहा पर समकोण काटती है - सवाई माधोपुर

उत्पति के आधार पर क्रम
अरावली - हाड़ौती का पठार - पूर्वी मैदानी प्रदेश - थार का मरुस्थल
                     rajasthan gk

         rajasthan ka bhugol in hindi

4 comments:

thanks


rajasthan gk

Labels

Popular Posts

Categories

Blog Archive

Search This Blog