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Sunday 31 May 2020

राजस्थान में कृषि उत्पादन

                  राजस्थान में कृषि उत्पादन 

राजस्थान में कृषि  , राजस्थान में कृषि जलवायु क्षेत्र
 राजस्थान में कृषि क्षेत्र

             राजस्थान में कृषि (Agricultur in Rajasthan)


राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 342239 वर्ग km है। जो देश के कुल क्षेत्रफल का 10.41% है।
राजस्थान में देश का 11% क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है।
राज्य के कुल क्षेत्र का दो तिहाई भाग खरीफ के मौसम में बोया जाता है। सर्वाधिक क्षेत्र बाड़मेर तथा सबसे कम राजसमंद में बोया जाता है।
राज्य में 50% सकल सिचिंत क्षेत्र तथा 30% शुद्ध सिचिंत क्षेत्र है।
राज्य में कुओं ओर नलकूपों से सर्वाधिक सिंचाई जयपुर जिले में होती है।
राज्य में नहरों से सर्वाधिक सिंचाई श्री गंगानगर जिले में होती है।
राज्य में तालाबो द्वारा सर्वाधिक सिंचाई भीलवाड़ा जिले में होती है।
राजस्थान में कृषि का वर्षा पर निर्भर होने के कारण कृषि को "मानसून का जुआ" कहते है। 

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राजस्थान में कृषि जोत आकार

भू उपयोग सांख्यिकी (वर्ष 2013-2014) में राज्य का प्रति वेदित भौगोलिक क्षेत्रफल - 342.68 लाख हेक्टेयर। जिसमे शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 53.31% (182.68) लाख हेक्टेयर।
राजस्थान का कृषि जोत के आधार पर देश में चोथा स्थान है।

राजस्थान में प्रमुख रूप से दो तरह की फसल होती है।
1. खाद्यान्न फसलें
खाद्यान्न फसलों में मुख्य रूप से गेहूं, जो, ज्वार, दहलन, उड़द, मसूर, चावल इत्यादि..
2.नकदी फसले/ व्यापारिक फसलें
नकदी फसलों में मुख्य रूप से गना, कपास, तम्बाकू, तारामीरा, तिल, होहोबा सोयाबीन इत्यादि...

राजस्थान में ऋतु आधारित तीन तरह की फसलें की जाती है।
1. रबी
यह फसल अक्टू.- नवम्बर में बोई जाती है तथा मार्च अप्रैल में काट ली जाती है। इस फसल को उनालू भी बोलते है। इस फसल में मुख्य रूप से गेहूं, जो, चना, सरसो, तारामीरा, अलसी, मटर, राई आदि...
2. खरीफ
यह फसल जून जुलाई में बोई जाती है तथा अक्टूबर नवम्बर में काट ली जाती है। इस फसल में मुख्य रूप से बाजरा, ज्वार, मूंगफली, कपास, मक्का, गन्ना ओर सोयाबीन है।
3. जायद
यह फसल मार्च में बोई जाती है तथा अप्रैल में काट ली जाती है। इस फसल में मुख्य रूप से तरबूज, खरबूजा, ककड़ी आदि..

           राजस्थान में बोई जाने वाली फसलें

गेहूं
राजस्थान में गेहूं सर्वाधिक खाया जाने वाला खाद्यान्न व सर्वाधिक उत्पन करने वाला खाद्यान्न है। राजस्थान में सर्वाधिक गेहूं श्री गंगानगर जिले में होते है। गेहूं उत्पादन में राजस्थान में श्री गंगानगर का प्रथम स्थान है। श्री गंगानगर को राजस्थान का अन्न भंडार/अन्न का कटोरा कहते है। गेहूं की पैदावार श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर व जयपुर जिले में होती है
गेहूं की किस्में
सोना कल्याण, सोनेरा, शरबती, कोहिनूर, मेक्सिन, राज.3765, राज.3077 प्रमुख है

जौ
राजस्थान जौ उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है। जौ का उत्पादन राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में सर्वाधिक होता है।
राजस्थान में जौ उत्पादन जयपुर जिले में सर्वाधिक होता है।
जौ की किस्में
ज्योति, राजकिरण, आर एस 6 प्रमुख है।
जौ का उपयोग बियर व शराब बनाने में किया जाता है।

ज्वार (सोरगम)
ज्वार को गरीब की रोटी भी कहा जाता है। देश में ज्वार उत्पादन में राजस्थान का चोथा स्थान है। राजस्थान के मध्य भाग में ज्वार का उत्पादन किया जाता है। राजस्थान में ज्वार उत्पादन में अजमेर जिला प्रमुख है।  उदयपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा में भी ज्वार का उत्पादन किया जाता है।
ज्वार अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर उदयपुर में स्थित है।
ज्वार की किस्में
पी.वी. 96 प्रमुख है।

मक्का
देश में मक्का उत्पादन में राजस्थान का आठवां स्थान है। राजस्थान  में मक्का उत्पादन में चित्तौड़गढ़ जिला प्रथम स्थान पर है। मक्के की हरी पत्तियों से साईलेज नामक चारा बनाया जाता है।
मक्का की किस्में
नवजोत, w- 126
कृषि अनुसंधान केन्द्र बांसवाड़ा द्वारा मक्का की तैयार की गई किस्में माही कंचन ओर माही धवल है।

बाजरा
देश में बाजरा उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है। राजस्थान के पश्चिमी भाग में बाजरा उत्पादन किया जाता है। राजस्थान में बाजरा उत्पादन में जयपुर जिला प्रमुख है
बाजरा अनुसंधान केन्द्र बाड़मेर में स्थित है।
बाजरे की किस्में
राज. 171
राजस्थान के पूर्वी भाग में संकर बाजरा बोया जाता है।

चावल
चावल एक उष्ण कटिबन्धीय पोधा है। राजस्थान में चावल उत्पादन बहुत ही कम मात्रा में किया जाता है। हनुमानगढ़ में घग्घर नदी के बहाव क्षेत्र में चावल की खेती की जाती है। हनुमानगढ़ में गरड़ा बासमती चावल का उत्पादन होता है।
चावल की किस्में
बी.के. 190, माही सुंगधा
माही सुंगंधा किस्म कृषि अनुसंधान केन्द्र बांसवाड़ा द्वारा बनाई गई है।

चना
यह एक उष्ण कटिबंधीय पोधा है। देश में चना उत्पादन में राजस्थान का दूसरा स्थान है। राजस्थान में सर्वाधिक चने का उत्पादन चूरू जिले में किया जाता है। गेहूं ओर जो के साथ चने को बोने पर उसे गोचनी कहा जाता है।

दलहन
देश में दाल उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है।
राजस्थान के पश्चिमी भाग में दाल का उत्पादन किया जाता है। दाल उत्पादन में नागौर जिले का प्रथम स्थान है। दलहन भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। दाल में उपस्थित राईजोबियम
नामक जीवाणु नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलता है।

               नकदी/ व्यापारिक फसलें


गन्ना
गन्ना मूल रूप से भारतीय पोधा हैं, सबसे पहले गन्ने का उत्पादन भारत में किया था। गन्ने का विश्व में सर्वाधिक उत्पादन भारत में किया जाता है। राजस्थान में गन्ना उत्पादन में बूंदी जिले का प्रथम स्थान है। गन्ने का उपयोग चीनी बनाने में किया जाता है।
राजस्थान में तीन शुगर मिल है।
1. द मेवाड़ शुगर मिल - 1932 में स्थापित यह शुगर मिल भोपाल सागर चित्तौड़गढ़ में है।
2. गंगानगर शुगर मिल - गंगानगर में 1956 में स्थापित यह शुगर मिल निजी मिल है।
3. द केशोरायपाटन शुगर मिल - बूंदी में  1965 में स्थापित यह एक सहकारी मिल है।

कपास
राजस्थान का कपास उत्पादन में देश में चोथा स्थान है। श्री गंगानगर में अमेरिकन कपास का उत्पादन किया जाता है। राजस्थान में कपास उत्पादन में हनुमानगढ़ जिला प्रमुख है। कपास को स्थानीय भाषा में बनिया कहा जाता है।
कपास में ठंड में बलविविल कीड़ा लग जाता है।

होहोबा
इसे जोजोबा भी कहते है। यह एक इज़रायली पोधा है। राजस्थान में होहोबा के तीन फार्म है
1. ढंड जयपुर
2. फतहपुर सीकर सहकारी फार्म
3. बीकानेर निजी फार्म

           राजस्थान में कृषि के प्रकार

1. शुष्क कृषि
 वह क्षेत्र जहा सिंचाई का अभाव हो शुष्क कृषि कहलाता है।
शुष्क कृषि दो प्रकार से करते है।
A. फ़वारा पद्धति
B. ड्रिप पद्धति
ड्रिप पद्धति इजरायल के सहयोग से यहां लाई गई है।
2. सिंचित कृषि
जहा सिंचाई का पूर्ण साधन हो वहां सिंचित कृषि उपयोग काम में ली जाती है।
3. मिश्रित कृषि
जहा कृषि के साथ पशुपालन भी किया जाता हो मिश्रित कृषि कहलाती है।
मिश्रित खेती - दो या दो से अधिक फसलें एक साथ बोई जाती है उसे मिश्रित खेती कहते है।
4. झुमिग कृषि/स्थानांतरित कृषि
पहाड़ी क्षेत्र में वृक्षों को जलाकर राख की खाद को काम में ली जाती है, इस प्रकार की खेती को वालरा कहते है। ऐसी कृषि उदयपुर, डूंगरपुर,  बारां में होती है। भील जनजाति इसे कृषि को चीमाता कहते है, तथा मैदानी भाग में इस कृषि को दजिया कहते है।
5. रिले रोपिंग
एक वर्ष में एक ही खेत में चार फसलें एक साथ उगाना
6. रोपण कृषि
यह एक विशेष प्रकार की खेती है जिसमे रबड़, चाय, कहवा आदि बड़े पैमाने पर बोए जाते है।
7. पट्टीदार खेती
ढालू खेती में मृदा क्षरण को कम करने वाले मूंग उड़द की एक के बाद एक पट्टियों में ढाल के विपरीत इस प्रकार उगाया जाता है कि मृदा क्षरण कम हो।

राजस्थान में कृषि मण्डीया

प्याज मंडी - अलवर
जीरा मंडी - मेड़ता
लहसुन मंडी - छिपा बड़ोद
इसबगोल मंडी - भीनमाल जालोर
मूंगफली मंडी - बीकानेर
धनिया मंडी - रामगंज कोटा
आंवला मंडी - चौमू जयपुर
अश्वगंधा मंडी - झालरापाटन



             राजस्थान में कृषि विश्वविद्यालय

स्वामी केशवानंद विश्वविद्यालय - बीकानेर
महाराणा प्रताप कृषि तकनीकी विश्वविद्यालय - उदयपुर
कृषि विश्वविद्यालय - जोधपुर
कृषि विश्वविद्यालय - जोबनेर
केंद्रीय शुष्क क्षेत्र उद्यानिकी अनुसंधान केन्द्र - बीकानेर
कृषि विश्वविद्यालय - कोटा

           राजस्थान में कृषि संस्थाएं

राजस्थान राज्य भण्डारण निगम
इसकी स्थापना 30 दिसम्बर 1957 को हुई।
इसका उद्देश्य कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए वातानुकूलित जगह का प्रबन्ध करना है।

राजस्थान राज्य सहकारी क्रय विक्रय संघ लिमिटेड
(RAJFED)
इसकी स्थापना 26 नवम्बर 1957 को हुई थी।
RAJFED का उद्देश्य कृषि उत्पादों को खरीदने व बचने तथा किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाना है।

राजस्थान की प्रमुख प्राचीन सभ्यताएं

राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड (RSAMB)
इसकी स्थापना 6 जून 1974 को हुई थी।
इसका उद्देश्य किसानों कि उपज का सही मूल्य दिलाना व कृषि मंडियों की स्थापना करना।

                   फसलों की किस्में  

गेहूं - मेक्सिकन, सोना, कल्याण, शरबती, सोनेरा, कोहिनूर, राज. 3077
जौ - ज्योति, RD 6, RD 2052, RD 2503
सरसो - रोहिणी, वरुणा, पुरना, बोल्ड, रजत, RH 30
जीरा - RS 1, SC 43
चावल - माही सूंगधा, चंबल, जया, BK 190
बाजरा - MH 179, 
कपास - देशी, अमेरिकी, मालवी
तम्बाकू - निकोटिना टूबेकम, निकोटीना रोस्टिका
मक्का - अगेती, गंगा, माही कंचन, माही धवल

                      महत्वपूर्ण तथ्य

ग्वार गम प्रयोगशाला की स्थापना जोधपुर जिले में की जा रही है।
खस का उत्पादन टोंक जिले में होता है।
राजस्थान स्टेट सिड्स कार्पोरेशन लिमिटेड जयपुर में स्थित है।
बेर व खजूर अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में है।
बायोडीजल की रिफाइनरी झामरकोटड़ा (उदयपुर) में स्थित है।
राजस्थान में बायोडीजल रतनजोत (जेट्रोपा) से बनाया जाता है।
इज़रायली पद्धति से खेती का प्रशिक्षण बस्सी (जयपुर) में होता है।
जेतसर कृषि फार्म सूरतगढ़ (श्री गंगानगर) में है।
एशिया का सबसे कृषि फार्म केंद्रीय कृषि फार्म सूरतगढ श्री गंगानगर में है।
राजस्थान सरसो अनुसंधान केंद्र सेवर (भरतपुर) में है।
केंद्रीय शुष्क अनुसंधान केन्द्र (काजरी) जोधपुर में है।
शुष्क वन अनुसंधान केन्द्र (आफरी) जोधपुर में है।
राज्य की पहली जैविक मंडी डूंगरपुर जिले में है।
देश का पहला जैविक खेती अनुसंधान केन्द्र झालावाड़ जिले में खोला जाएगा।
निजी खेतों में नरेगा से कार्य करने के लिए उत्थान कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
आर्य योजना का सम्बन्ध कृषि में युवाओं को आकर्षित करना ओर उन्हें प्रशिक्षित करना है।
जैतून की रिफाइनरी लूणकरणसर बीकानेर में स्थित है।
राज्य में किसानों को बीज उत्पादन में स्वावलंबन बनाने हेतु मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना चलाई जा रही है।


  इन्हे भी पढे - राजस्थान की जलवायु
                      राजस्थान में खनिज 
               

                   





1 comment:

thanks


rajasthan gk

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